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________________ । ( ४० ) प्रश्न ११५-भाव मोक्ष का कर्ता द्रव्यकर्म के अभाव को माने तो क्या दोष आवेगा? उत्तर-भाव मोक्ष और अजीव को एक माना-कर्मकारक को नही माना। प्रश्न ११६--भाव मोक्ष का कर्ता वनवपमनाराच सहनन को माने, तो क्या दोष आवेगा? उत्तर-उसने अजीव ओर मोक्ष को एक माना-कर्मकारक को नही माना। प्रश्न ११७-जीव से मोक्ष माने तो क्या दोष आवेगा? उत्तर-उसने जीवतत्व और मोक्ष तत्व को एक माना-कर्म कारक को नहीं माना। प्रश्न ११८-आस्रव से मोक्ष माने तो क्या दोष आवेगा ? उत्तर-उसने आस्रव ओर मोक्ष को एक माना-कर्म कारक को नही माना। प्रश्न ११६-बध से मोक्ष माने तो क्या दोष आवेगा? उत्तर-उसने बध और मोक्ष को एक माना-कर्म कारक को नहीं माना। प्रश्न १२०--लवर से मोक्ष माने तो क्या दाष आवेगा? उत्तर-सवर और मोक्ष को एक माना-कर्म कारक को नही माना। प्रश्न १२१-निर्जरा से मोक्ष माने तो क्या दोष आनेगा ? उत्तर-निर्जरा और मोक्ष को एक माना-कर्मकारक को नही माना। प्रश्न १२२-१४३ गुणस्थान से मोक्ष माने, तो क्या दोष आवेगा? उत्तर-आस्रव, सवर, निर्जरा और मोक्ष को एक माना-कर्मकारक को नहीं माना। प्रश्न १२३-मोक्ष तत्व सम्वन्धी भूल कैसे दूर हो ?
SR No.010117
Book TitleJain Siddhant Pravesh Ratnamala 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDigambar Jain Mumukshu Mandal Dehradun
PublisherDigambar Jain Mumukshu Mandal
Publication Year
Total Pages253
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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