SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 200
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ BISH -- प्रागमन की बात सुनकर भला कौन प्रसन्न न होती होगी । सुमति पाल्हादित होकर अपनी सखी से कहती है, "हे सखी देखो माज चेतन घर पा रहा है। यह अनादि काल तक दूसरों के वश में होकर घूमता फिरा, अब उसने हमारी सुष बी है। अब तो वह भगवान जिन की माज्ञा को मानकर परमानन्द के गुण गाता है। उसके जन्म-जन्म के पाप भी पलायन कर गये हैं। अब तो उसने ऐसी युक्ति रच ली है, जिससे उसे संसार में फिर नहीं माना पड़ेगा । अब वह अपने मन भाये परम अखंडित सुख का विलास करेगा।' पति को देखते ही पत्नी के अन्दर से परायेपन का भाव दूर हो जाता है। वैध हट जाता है और अवैध उत्पन्न हो जाता है। ऐसा ही एक भाव बनारसीदाम ने उपस्थित किया है । सुमति चेतन से कहती है, "हे प्यारे चेतन ! तेरी और देखते ही परायेपन की गगरी फूट गई । दुविधा का अंचल हट गया और समूची लज्जा पलायन कर गई। कुछ समय पूर्व तुम्हारी याद पाते ही मैं तुम्हें खोजने के लिए अकेली ही राज पथ को छोड़कर भयावह कान्तार में घुस पड़ी थी। वहाँ काया नगरी के भीतर तुम अनन्त बल और ज्योति वाले होते हुए भी कर्मों के प्रावरण में लिपटे पड़े थे । अब तो तुम्हें मोह की नोंद छोड़कर सावधान हो जाना चाहिए।' १. देखो मेरी सखीये प्राज चेतन घर पावे। काल अनादि फिर्यो परवश ही, अब निज सुधहि चिताव, देखो । जनम-जनम के पाप किये जे, छिन मांहि बहावै । श्री जिन आज्ञा सिर पर घरतो, परमानन्द गुण गावै ।। देत जलांजुलि जगत फिरन को, ऐसी जुगति बनावै । विलस सुख निज परम प्रखण्डित, भैया सब मन भावं ।। देखिये वही, परमार्थ पद पक्ति, १४ वा पद, पृ० ११४ । २. बालम तुहूं तन चितवन गागरि फूटि । अचरा गो फहराय सरम में छूटि, बालम० ।। पिउ सुधि पावत बन में पेसिउ पेलि । छाड़त राज डगरिया भयउ मकेलि, बालम। काय नगरिया भीतर चेतन भूप, करम लेप लिपटा बल ज्योति स्वरूप, बालम० ।। चेतन बूझि विचार धरहु संतोष । राग-दोष दुइ बन्धन छाटत मोष, बालम० ॥ बनारसी विलास, अध्यात्मपद पंक्ति, पृ० २२८-२९ । -Re -Or 555555555555
SR No.010115
Book TitleJain Shodh aur Samiksha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPremsagar Jain
PublisherDigambar Jain Atishay Kshetra Mandir
Publication Year1970
Total Pages246
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy