SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 80
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ जैन-शिलालेख-संग्रह [३.८ ११६ ३०८ मट्टेवाड ( वरंगल, आन्ध्र) संस्कृत-कनाड़ इस लेख मे मूलसंघ-कोण्डकुन्दान्वय के त्रिभुवनचन्द्र भट्टारक के समाधिमरण का वर्णन है । यह शिला भोगेश्वर मन्दिर में पड़ी है। रि० इ० ए० १९५८-५९ शि० क० बी १२२ ३०९ मद्रास तमिल इस ताम्रपत्र मे शेलेट्टि कुडियन् द्वारा इरुमुडिशोळपुरम के नगरत्तार से खरीदी भूमि पर पल्लि ( जिन मन्दिर ) के निर्माण का वर्णन है । उंबलनाडु तथा पुरंकरबैनाडु के अन्तर्गत दनमलिपॅडि की कुछ भूमि मन्दिरनिर्माता को खेती के लिए दी गयी थो। सुन्दरशोलपेरुबल्लि के लिए पल्लिच्छन्दम के रूप मे नन्दिसंघ के मौनिदेवर उपनाम संदणंदि तथा ऋषि व आयिकाओ के लिए दान देने हेतु कुछ भूमि अर्पित की गयी थी। रि० इ० ए०६१-६२ शि०० ए० २९ दैन्जेक्शन्स ऑफ दि आकिं० सोसाइटी ऑफ साउथ इडिया १९५८-५९- पृ० ८४ पर प्रकाशित ।
SR No.010114
Book TitleJain Shila Lekh Sangraha 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyadhar Johrapurkar
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1971
Total Pages97
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy