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________________ जैन- शिलालेख संग्रह २७९ सेमनवाड़ी (बेलगाँव, मैसूर ) शक १०१५ = सन् १७९३, कन्नड कार्तिक शु० ४ गुरुवार शक १७१५ प्रमादि संवत्सर । इस तिथि के इस लेख में जिनसेनभट्टारक का नाम दिया है। जिनमन्दिर के गोपुर में रखी हुई मूर्ति के पादपीठ पर यह लेख है । रि० ३० ए० १९६३-६४ शि० क्र० बी ३५० * २८० कोरोची ( कोल्हापुर, महाराष्ट्र ) संस्कृत-कन्नद [ २०९ - शक १७२० तथा १७४२ = सन् १७९८ तथा १८२० रायप्प व बन्धु रेचप्प द्वारा एक जिनमन्दिर के निर्माण व पार्श्वनाथमूर्ति की स्थापना का इस लेख मे वर्णन है । इस में दो शकवर्ष बताये है -- १७२० तथा १७४२ । रि० ६० ए० १६६२-६३ शि० क्र० बी ७७८ २८१ से २८४ सोनागिरि ( दतिया, मध्यप्रदेश ) सं० १८५५ = सन् १७९९, संस्कृत- नागरी उक्त वर्ष के ये चार लेख यहाँ के विभिन्न मन्दिरो में प्राप्त हुए हैं। इन का विवरण इस प्रकार है-
SR No.010114
Book TitleJain Shila Lekh Sangraha 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyadhar Johrapurkar
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1971
Total Pages97
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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