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________________ ३८ जैन-शिलालेख-संग्रह बोधन ( निजामाबाद, आन्ध्र) लिपि-११वी सदी की, संस्कृत-कन्नड किले मे एक स्तम्भ पर यह लेख है । देवेन्द्र सिद्धान्तमुनीश्वर के शिष्य शुभनंदि के समाधिमरण का यह स्मारक है। रि० ३० ए० १९६१-६२ शि० ऋ० बी ११२ ६६-६७ हळेबीड ( हासन, मैसूर) लिपि-११वी सदी की, कन्नड केदारेश्वर मन्दिर मे पड़ी हुई शिला पर यह लेख है । मूलसंघ-देशिगण-पुस्तक गच्छ- कोण्डकुन्दान्वय के नेमिचन्द्र भट्टारक के शिष्य मल्लिसेट्टि के पुत्र हरिसदेव और तिप्पण्ण ने इस पार्श्वमति की स्थापना की थी। यही के एक और खण्डित लेख मे पुणिसजिनालय का उल्लेख है । रि०३० ए० १९६३-६४ शि० ऋ० बी १६१-२ मद्रास ( मूलस्थान अज्ञात ) लिपि-11वी सदी की, तमिल महावीर मूर्ति के पादपीठ पर यह लेख है। तिरुक्कोविलूर के किसी सज्जन ( नाम अस्पष्ट ) ने यह मूर्ति स्थापित की थी। रि० ३० ए० १९६१-६२ शि० क्र० बी २६६
SR No.010114
Book TitleJain Shila Lekh Sangraha 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyadhar Johrapurkar
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1971
Total Pages97
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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