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________________ -६१९ ] कोगकि भादिके लेख ६१६-६१७ कोगलि ( बेल्लारी, मैसूर ) काद [ इस मूर्तिलेखमें अनन्तवीर्यदेवके शिष्य ओडेयमसेट्टि द्वारा इस मूर्ति की स्थापनाका उल्लेख है । यहाँके एक स्तम्भपर जिनमूर्तियोंके अभिare लिए कई व्यक्तियों द्वारा दिये गये दानोंका उल्लेख है । प्रथम लेखकी तिथि चैत्र शु० १४ रविवार, परिधावि संवत्सर ऐसी दी है । ] [रि० स० ए० १९१४-१५ क्र० ५२०-२१ पृ० ५३ ] ६१८ मुलगुन्द ( धारवाड, मैसूर ) कन्नड T [ इस लेख में देसिगण -हनसोगे अन्वयके ललितकीर्ति भट्टारकके शिष्य सहस्रकीतिक मृत्युका उल्लेख है । मुस्लिमों द्वारा पार्श्वनाथबसदिपर आक्रमणके समय उनकी मृत्यु हुई थी। ] [रि० स० ए० १९२६-२७ क्र० ई ९२ पृ० ८ ] ६१६ कलकेरि ( धारवाड, मंसूर ) कार [ इस लेखमें मूल संघ - काणूरगण- तित्रिणी गच्छके भानुकीर्ति सिद्धान्तदेवके शिष्य हलिगावण्ड द्वारा कलिकेरेके अकलंकचन्द्रभट्टारकके लिए एक सदिके निर्माण तथा पार्श्वनाथमूर्तिकी स्थापनाका उल्लेख है । ] [रि० स० ए० १९२७-२८ क्र० ई ५१ पृ० २४ ]
SR No.010113
Book TitleJain Shila Lekh Sangraha 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyadhar Johrapurkar
PublisherManikchand Digambar Jain Granthamala Samiti
Publication Year
Total Pages568
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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