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________________ १७६ जैन शिलालेख संग्रह ६०६ देवर ( बिजापूर, मैसूर) कड [ इस लेख में मूलसंघ - देसिंगण इंगलेश्वर बलिके नेमिदेव आचार्य के देविसेट्टि, पदुमव्वे तथा सिंगेयके समाधिमरणका शिष्य सिंगिसेट्टि, उल्लेख है । ] [ 805 [रि० स० ए० १९३६-३७ क्र० ई २२ पृ० १८३ ] ६०७ शिरूर ( जमखंडी, मैसूर ) कजर [ इस लेखमें यापनीय संघ -वृक्षमूलगणके कुसुमजिनालय में कालिसेट्टि - द्वारा पार्श्वनाथमूर्ति की स्थापनाका वर्णन है । ] [रि० स० ए० १९३८-३९ क्र० ई ९८ पृ० २१९ ] ६०८ इडेयालम् (द० अर्काट, मद्रास ) तमिल [ यहाँ जैन मन्दिर के समीप पाषाणोंपर चरणपादुकाएं उत्कीर्ण हैं तथा निम्न नाम खुदे हैं। Hayw ( १ ) मल्लिषेणमुनीश्वर ( ३ ) अप्पाण्डार नायिनार् [रि० स० ए० (२) विमलजिनदेव ४ ) इडेयालम्के जिनदेवर् ] १९३८-३९ क्र० ३११-१४ ० ४२ ]
SR No.010113
Book TitleJain Shila Lekh Sangraha 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyadhar Johrapurkar
PublisherManikchand Digambar Jain Granthamala Samiti
Publication Year
Total Pages568
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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