SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 422
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ जैन शिलालेख संग्रह ५६६ देवसूर (मदुरा, मद्रास) वट्टलुत्त [ यह लेख बहुत अस्पष्ट है । इसमें किसी पल्लि (जैन वसति) तथा तुंग पल्लवरैयन्का उल्लेख है। ] [रि० सा० ए० १९३१-३२ क्र० ५९ पृ० १२] ५६७ अपकूर (धारवाड, मैसूर) काड [ यह लेख वीरभद्र मन्दिरकी एक भग्न मूर्तिके पादपीठपर है। इसमें शान्तिनाथ, सोमदेव तथा वसुधाकरदेवकी स्तुति को है। सातोज-रामोजद्वारा इस बसदिके निर्माणका उस्लेख है । ] [रि० सा० ए० १९३२-३३ क० ई० ७ पृ०९२ ] हावेरी ( धारवाड, मैसूर ) [ इस लेखमें मादरस-द्वारा जिनमन्दिरको सीढ़ियां बनवाये जानेका उल्लेख है । इस समय यह लेख वीरभद्र मन्दिरमें लगा है। ] [रि० सा० ए० १९३२-३३ क्र० ई० ९६ पृ० १०१ ] ५६१-६०२ इंगलेश्वर ( बिजापूर, मैसूर ) [ये चार समाधिलेख हैं। पहलेकी तिथि तारण, अमावास्या, शुक्रवार यह है । यह सत्यण्णकी समाधि है । दूसरा लेख अग्गलसेट्टिके पुत्र शान्ति
SR No.010113
Book TitleJain Shila Lekh Sangraha 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyadhar Johrapurkar
PublisherManikchand Digambar Jain Granthamala Samiti
Publication Year
Total Pages568
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy