SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 420
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ३७२ जैनशिलालेख-संग्रह वालेहल्लि ( धारवाड, मैसूर) [ इस लेख में मार्गशिर २० १०, शुक्रवार, शुभकृत् संवत्सरके दिन माधवचन्द्रदेवके शिष्य नागगौडको पत्नी सायिगबुडिके समाधिमरणका उल्लेख है।] [रि० इ० ए० १९४७-४८ क० १९१ पृ० २३ ] ५६१ गुडुगुडि ( धारवाड, मैसूर) कन्नर [ यह लेख सरस्त ( सूरस्त ) गणके किसी आचार्यको शिष्या लागवेके समाधिमरणका स्मारक है।] [रि० इ० ए० १९४७-४८ क्र. २०० पृ० २४ ] ५९२ मन्तगि ( धारवाड, मैसूर) [ यह लेख टूटा है। हरिकेसरिदेव, हरिकान्तदेव तथा तोयिमरस द्वारा विभिन्न बसदियोंको दिये गये भूमिदानोंका इसमें उल्लेख है। इनमें बंकापुरको उम्पंटाचण बसदि तथा कोन्तिमहादेविय बसदिका भी समावेश है।] [रि० इ० ए० १९४७-४८ क्र० २०८ पृ० २५ ]
SR No.010113
Book TitleJain Shila Lekh Sangraha 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyadhar Johrapurkar
PublisherManikchand Digambar Jain Granthamala Samiti
Publication Year
Total Pages568
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy