SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 415
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ तेणिमलै आदिके लेख ३६७ तेणिमलै ( मद्रास) तमिल [ यह लेख एक पाषाणपर उत्कीर्ण जिनमूर्तिके नीचे है। यह मूर्ति (तिरुमेणि ) श्रिवल्ल उदण सेरुवोट्टि-द्वारा उत्कीर्ण थी ऐसा लेखमें कहा है।] [इ० पु. क्र. १. पृ० १] पण्डि (जि० उत्तर अर्काट, मद्रास ) तमिल पोमिनाथ जैन मन्दिरके पश्चिमी दीवाळपर [ इस लेखमे शम्बुवरायका उल्लेख है। वीरवीरजिनालय नामक मन्दिरको स्थापनाका तथा उसे एक गांव दान देनेका उल्लेख इस लेखमे है ।] [इ० म० उत्तर अर्काट २१० ] ५७६ मूडबिदुरे ( मैसूर) काट [ इस ताम्रपत्रके तीन भाग है। पहला भाग वृषभ २२, गुरुवार, तारण संवत्सरके दिनका है। इसमें चन्द्रकोतिदेव-द्वारा २४ तीर्थंकरोंको पूजाके लिए २०० होन्नु अर्पण किये जानेका उल्लेख है। यह रकम विष्णु कलुम्बरुको कर्ज दी गयी थी। उसने अपनी कुछ जमीन गिरवी रखकर इस रकमके ब्याजके रूपमें १६ मन चावल देना स्वीकार किया था। दूसरा भाग कर्क ९, बुधवार, स्वर्भानु संवत्सरके दिनका है। इसमें श्रीधर पडि
SR No.010113
Book TitleJain Shila Lekh Sangraha 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyadhar Johrapurkar
PublisherManikchand Digambar Jain Granthamala Samiti
Publication Year
Total Pages568
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy