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________________ ३५४ जैन शिलालेख संग्रह ५३६ कन्नुपर्तिपाडु ( नेलोर, आन्ध्र ) तमिल [ ५३६ [ इस लेखमें करिकालचाल जिनमन्दिर के लिए मतिसागरदेवके उपदेशसे प्रमलदेवी-द्वारा सीढ़ियाँ बनवानेका निर्देश है । यह लेख सम्राट् राजराजदेवके ३७वें वर्षका है । नोट- चोल राजराज नामक किसी भी राजाका राज्य ३७ वर्षकी दीर्घ सीमा तक नहीं पाया जाता । अतः इस लेखकी तिथि ग़लत प्रतीत होती है । ] ( इ० म० नेलोर ५०२ ) ५३७ तिरुनिडंकोण्डै ( मद्रास ) तमिल [ यह लेख पल्लव राजा सकल भुवनचक्रवत पेरुं जगदेव के तीसरे राज्यवर्षका है । इसमें इस देव मन्दिरकी प्रदक्षिणामालिकाका निर्माण पालैपूर निवासी ... शिंगन द्वारा किये जानेका उल्लेख है । लेख चन्द्रनाथमन्दिरके प्राकार के पश्चिमी दीवारपर खुदा है । ] [रि० स० ए० १९३९-४० क्र० ३१४ पृ० ६६ ] ५३८ गेर सोप्पे (मैसूर) संस्कृत-क १ घनशोकवलीमंजुल देशीगणकलित कीर्तिमुनिसुनोः चन्द्र सूरेरुपदेशाने मिजिनबिम्बं ॥ (1) श्रीदेव
SR No.010113
Book TitleJain Shila Lekh Sangraha 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyadhar Johrapurkar
PublisherManikchand Digambar Jain Granthamala Samiti
Publication Year
Total Pages568
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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