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________________ -१६८1 मेल्लिका भादिके लेख नेल्लिकर ( द० कनडा, मैसूर ) शक १४४७=सन् १५२५, कमर [ यह लेख स्थानीय अनन्तनाथबसदिके प्राकारमें है। देवण्णरस उपनाम कोनको बहन शंकरदेवी-द्वारा कोयरवुरको बसदिके लिए धनु १५, रविवार, शक १४४७, तारण संवत्सरके दिन कुछ भूमिके उत्पत्रके दानका इसमें उल्लेख है।] [रि० सा० ए० १९२८-२९ क्र. ५२२ पृ० ४९ ] ક૬૭ पल्लिच्छन्दल ( द० अर्काट, मद्रास ) शक १४५२= सन् १५३०, तमिल [ यह लेख एक भग्न जैनमन्दिरके स्थानपर है जिसे शैनियम्मण कोयिल कहा जाता है। विजयनगरके राजा अच्युतदेवमहारायने वैयप्प नायकके निवेदनपर शबके नायनार् विजयनायकर् नामक जिनमूर्तिकी पूजाके लिए जोडि और शालुवरि करोंका उत्पन्न अर्पण किया था। यह राजाज्ञा वेलूर बोम्मुनायकके समय उत्कीर्ण की गयी ऐसा लेखमें कहा है । तिथि मिथुन शु० १०, बुधवार, शक १४५२, नन्दन संवत्सर ऐसी दी है। [रि० सा० ए० १९३७-३८ क्र० ४४९ पृ. ५१ ] पटना म्युजियम (बिहार) संवत् १५९३= सन् १५३१, संस्कृत-नागरी [ यह लेख एक पीतलकी जिनमूर्तिके पादपीठपर है । इसकी स्थापना मूलसंघ-कुन्दकुन्दाचार्यान्वयके मण्डलाचार्य धर्मचन्द्र के उपदेशसे खंडेलवाल
SR No.010113
Book TitleJain Shila Lekh Sangraha 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyadhar Johrapurkar
PublisherManikchand Digambar Jain Granthamala Samiti
Publication Year
Total Pages568
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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