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________________ -४६२] कोह नगोरी भादिके लेख ४६० कोहनगोरी ( जयपुर, राजस्थान) संवत् १५७७ = सन् १५२१, संस्कृत-नागरी [ इस लेखकी तिथि माघ शु० ५, संवत् १५७७ यह है। इसमें मूलसंघ-बलात्कारगणके आचार्योकी परम्परा दी है तथा खण्डुलवाल अन्वयके राय रामचन्द्रके शासनका उल्लेख है।] [रि० इ० ए० १९५२-५३ क्र० ४१६ पृ० ६९ ] ४६१ वरांग ( द० कनडा, मैसूर ) शक १४४१ = सन् १५२२, कन्नड [ यह लेख पोंबुच्चके राजा इम्मडि भैरवरसके समय चत्र व० १२, सोमवार शक १४४४ चित्रभानु संवत्सरका है। इसमे राजा-द्वारा वरांगके नेमिनाथ बसदिके लिए भैरवपुर नामक ग्रामके दानका उल्लेख है। ] [रि० सा० ए० १९२८-२९ क्र० ५२९ पृ० ४९ ] ४६२ सोदे ( उ० कनडा, मैसूर) शक १४४५ = सन् १५२२, संस्कृत-काड [ यह ताम्रपत्र आषाढ़ पूर्णिमा शक १४४५ चित्रभानु संवत्सरका है। तोलव प्रदेशके क्षेमपुर (गेरसोप्पे ) नगरसे इम्मडि देवराय ओडेयर्ने बण्डवाल ग्रामकी कुछ भूमि लक्ष्मणेश्वरके शंखजिनबसतिके लिए दान दी थी। यह दान देशोगणके चन्द्रप्रभदेवके लिए था। ] [ए. रि० मै० १९१६ पृ. ६९]
SR No.010113
Book TitleJain Shila Lekh Sangraha 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyadhar Johrapurkar
PublisherManikchand Digambar Jain Granthamala Samiti
Publication Year
Total Pages568
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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