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________________ ३.६ बनशिलालेख-संग्रह [ . ४४०-४४१ बैन्दुरु (द० कनडा, मैसूर) शक १३(७) = सन् १४५०, कमर [ यह लेख विजयनगरके मल्लिकार्जुन महारायके समय चैत्र शु. १०, गुरुवार, शक १३(७)१ शुक्ल संवत्सरका है। इस समय बंदूरके पार्श्वनाथ बसदिके लिए कुछ लोगों द्वारा दिये हुए दानोंका विवरण इसमें दिया है । देवप्प दण्डनायकका भी उल्लेख है। इसी समयका दूसरा लेख यहीं है। इसमे हाडुवलिय राज्यके शासक संगिराय ओडेयके पुत्र इंगरस ओडेयके समय पार्श्वनाथबसदिको प्राप्त दानोंका विवरण है । ] [रि० सा० ए० १९२९-३० ऋ० ५३६-३७ पृ० ५३ ] वितलद्रग ( मैसूर ) शक १३८५=सन् १५६३, कमर १ सखवरुस १३८५ सोमकृति सं. २ वछरद कतिकसुध १५ प्राकिय मं. ३ गिसेट्टिय मग गुम्मिसेटियर नि४ स्तिगे श्रीवीतराग [ यह एक निसिधिलेख है। आकिय मंगिसेट्टिके पुत्र गुम्मिसेट्टिके समाधिमरणका यह स्मारक है । तिथि कार्तिक शु० १५, शक १३८५, शोभकृत् संवत्सर इस प्रकार दी है। [ए. रि० मै० १९३९ पृ० १०४ ]
SR No.010113
Book TitleJain Shila Lekh Sangraha 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyadhar Johrapurkar
PublisherManikchand Digambar Jain Granthamala Samiti
Publication Year
Total Pages568
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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