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________________ -४२२ ] सक्करेपण आदिके लेख २९९ ४२१ सक्करपट्टण ( मैसूर ) शक १३२८= सन् १४०५, कन्नड १ श्रीमत् परमगंमीरस्याद्वादामोघलांछनं (1) जीबात् त्रैलोक्यनाथस्य शासनं जिनशासनं ( 1 ) . २ श्रीमद् राय राजगुरु मण्डलाचार्य पुरविक्रमादित्य मध्याह्न - श्रीमल्लक्ष्मीसेन मट्टारकरवर ३ कल्पवृक्ष सेनगणाप्रगण्यरुमध्य श्रीमत् श्रीमानसेनदेवर निषिधि शकव ४ . १३२८ नेय पार्थिव संवत्सर १० लु ५ श्रीमुत्तद होसऊर बैचसेहिय मक्कलु मायसेहि बोग्मि सेटि नागणसेहि अवर मोम्मक्कलु बैच ६ शेट्टीय तम्मसेट्टि को रिसेहि चिक्कवैवसेहि मादिसेहियर मक्कल को रिसेहियरु [ यह लेख सेनगणके भट्टारक लक्ष्मोसेनके शिष्य मानसेन देवकी समाधिका स्मारक है । यह निषिधि मुत्तदहोसकरके बैचसेट्टि के पुत्र मायसेट्टि, वोम्मिसेट्टि आदि शक १३२७ मे स्थापित की थी । ] [ ए०रि० मं० १९२७ पृ० ६२ ] ४२२ कोरग (द० कनडा, मैसूर ) शक १३३१ = सन् १४१०, कन्नड [ यह लेख केरवसेके राजा सान्तर वंशीय वीरभैरवके पुत्र पाण्ड्यभूपालके समय पुष्य शु० १०, गुरुवार, शक १३३१, सर्वधारि संवत्सरका है । इसमे बलात्कारगणके वसन्तकीतिराउलकी प्रार्थनापर बारकूरुकी सदिके लिए राजा द्वारा कुछ भूमिके दानका उल्लेख है । ] [रि० स० ए० १९२८-२९ क्र० ५३० पृ० ४९ ]
SR No.010113
Book TitleJain Shila Lekh Sangraha 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyadhar Johrapurkar
PublisherManikchand Digambar Jain Granthamala Samiti
Publication Year
Total Pages568
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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