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________________ जैन शिलालेख संग्रह १२ सेहि तन्नय पेम्पि देसेवलरसियक्कनुमत मतं १३ पडेदु सुखदं बालबुदु स्वस्ति श्रीमन्महामण्डलेश्वर भरिराय१४ विमा अगलि भाषेगे तप्पुवरायरगण्ड चतुस्समु१५ द्राधिपति श्रीवीकराय महारायरु राज्यं गेय्युत्तुमि वि१६ रोधिसंवत्सर कार्तिकशुद्धतदिगेवर देवर नि १७ - चन्द्रगुड्डिगलुमप्प सान्तिना १८ नाथदेवर अमृतपडि नन्दादीप १६ केरेय केलगे गद्दे ख ४.... २० ... यी धर्ममं प्रतिपालिसु" २१ वारणासि कुरुक्षेत्र ... २२ कविलेय २३ पातकनक्कु श्रीशान्तिनाथ, २९० [ ४०७ [ यह लेख कार्तिक शु० ३, विरोधिसंवत्सरके दिन वीरबुक्करायके राज्यकालमे लिखा गया था । बनवासि प्रदेशके नागसेट्टि तथा सेणिसेट्टि - द्वारा शान्तिनाथमन्दिरके निर्माणका तथा उसमे दीपादि पूजाके लिए ४ खण्डुग भूमि अर्पण किये जानेका इसमे उल्लेख है । ] [ ए०रि० मै० १९२८ पृ० ८३ ] ४०७ हले सोरब ( मैमूर ) १४वीं सदी उत्तरार्ध, कन्नड १ श्रीमत्परमगंमीरस्याद्वादामोघलांछनं जीयात् - २ लोक्यनाथस्य शासनं जिनशासनं । अमरावतियळकावति स ३ ममेनिखुव सोरण तवनिधियुमेंबेरडं समनागि वि ४ पालिसिदं सुमनलतरु सङ्कंस तवनिधिय ब्रह्माख्यं ॥
SR No.010113
Book TitleJain Shila Lekh Sangraha 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyadhar Johrapurkar
PublisherManikchand Digambar Jain Granthamala Samiti
Publication Year
Total Pages568
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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