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________________ -१८७] हुकेरी आदिके लेख ३८४ हुकेरी (जि. बेलगांव, मैसूर ) १३वीं सदी, काड [ यह लेख टूटा है। यापनीय संघके किसो गणके कीर्ति आचार्यका इसमें उल्लेख है । लिपि १३वीं सदीकी है। ] [रि० सा० ए० १९४२-४३ ई ६ पृ० २६१ ] ३८५-३८६ हले हुबलि ( जि. धारवाड, मैसूर ) १२वीं-१३वीं सदी, कमर [ यहाँके अनन्तनाथ बसदिमें दो लेख हैं। एक ब्रह्मदेवको मूर्तिपर है। इसकी लिपि १२वीं सदीकी है। सेटि महादेवी-द्वारा इस मतिको स्थापनाका इसमें निर्देश है। दूसरा एक जिनमूर्तिपर है। इसकी लिपि १३वीं सदोको है। इसमे यापनीय संघके (क)डूर गणका उल्लेख है। [रि० सा० ए० १९४१-४२ ई० ३३-३४ ] मोटे बेनर ( धारवाड, मैसूर ) १३वीं सदी, कन्नड [ यह लेख १३वीं सदोको लिपिमें है । तिथि चैत्र शु. १०, गुरुवार, सौम्य संवत्सर ऐसी दी है। इसमें जिनचन्द्रदेवके शिष्य बोम्मिसेट्टिके पुत्र बाचिसेट्टिके समाधिमरणका उल्लेख है।] [रि० सा० ए० १९३३-३४ क्र० ई १०८ पृ० १२९]
SR No.010113
Book TitleJain Shila Lekh Sangraha 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyadhar Johrapurkar
PublisherManikchand Digambar Jain Granthamala Samiti
Publication Year
Total Pages568
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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