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________________ २२४ जैनशिलालेख संग्रह २८६ ग्राम ( हासन, मैसूर ) कन्नड, १२वीं सदी [ इस लेखमे किसी होयसल राजाके सेवक पेर्गडे वासुदेवके पुत्र जिनभक्त उदयादित्यका वर्णन है । इसने सूरस्थगणके चन्द्रनन्दि गुरुके उपदेशसे वासुदेवजिनवसतिका निर्माण किया था । यह लेख इस समय केशवमन्दिर में लगा है । ] [ २८९ [ ए०रि० मैं ० १९१७ पृ० ४४ ] २६० ग्राम ( हासन, मैसूर ) कन्नड, १२वीं सदी [ इस लेखमे शान्तिग्रामके होनिसेट्टि तथा अन्य भव्यो द्वारा देसियगण - इंगलेश्वर शाखा के हरि आचार्यके उपदेशसे सुमतिभट्टारककी मूर्तिकी स्थापनाका उल्लेख है । लिपि १२वी सदीकी है । ] [ ए०रि० मं० १९९७ पृ० ६० ] २६१ कुप्पटूर ( मैसूर ) कन्नड, १२वीं सदी [ यह लेख पार्श्वनाथमूर्ति के पादपीठपर है । मूलसंघकाणूरगणतित्रिणीक गच्छके पर्वतमुनिका इसमे उल्लेख है । लिपि १२वी सदीकी है ।] [ ए०रि० मैं ० १९११ पृ० ४० ]
SR No.010113
Book TitleJain Shila Lekh Sangraha 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyadhar Johrapurkar
PublisherManikchand Digambar Jain Granthamala Samiti
Publication Year
Total Pages568
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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