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________________ -२८१] कान्तराजपुरका लेख २१९ १६ यक काचिनायक पम्मणनायक मावियनाय (क) २० सावुकनायक चिकवनायक मादियनायक बडघर बिज२१ पनायक बहुगेयनायक सनियमनायक हे२२ माडिनायक हरियणनायक पूमयनाय२३ क जवनेयनायक मैलयनायक बैजयणनायक मा२४ केयनाय (क) बमय नायवेयनायक गुडेयनायक २५ मारतमनायक मल्लेयनायक हरियड्र माचोड सिं२६ गगौड सोमगौड बदिय गौडन मादिगौड उत्तगौड बयचिगौड २७ मारगोड मादिगोड अबिगोड हलुवाडिगट्टद कुदरंय के२८ चगौड सकरनायकर नायक मल्लिगोड कसिय-हलिय वा२६ हुबलि सेटि पारिससहि बिजे सेटि अवर पुत्रक बल्लगोड ब३० सवगौड माचेय भरतय मादय आलय माचयउत्त३१ गौडन मारय पापय चिक्करम बिरिशेष्टिय मग आलगो३२ ड चिकगौड सीमगोड चिण्णयगांड मारगोड कसवगौड श्रीमन्महा(मं)ण३३ डलाचार्यरु राजगुरुगलु नयकीर्तिसिद्धांतदेवर शिष्यरु नेमि३४ चंद्रपंडितदेवरु बालचंद्रदेवरु नयकीर्तिदेवरगुडु३५ गलु बाहुबलिसेट्टि पारिससटि माडिसिद एक्कोटिजिनालय३६ द पद्मप्रभदेवर अष्टविधार्चनगे वूर मुन्दे आरिय मारे३७ यनायक कट्टिसिद कर आ कोलेरिय गई भा मूडलु सुत्तलु नट्ट ३८ ... बेदलेय हिरियकरय मोदलेरि३९ ""गर्दय श्रीमुखसंवत्सरद वयि..
SR No.010113
Book TitleJain Shila Lekh Sangraha 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyadhar Johrapurkar
PublisherManikchand Digambar Jain Granthamala Samiti
Publication Year
Total Pages568
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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