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________________ -२५२] करडकलका लेख १७९ गायें दान दी जानेका उल्लेख है। यह चोल सम्राट राजराजदेवके १०३ वर्ष में दिया गया था। राजराजदेवके ११वे वर्षका एक लेख यहीं है ! इसमे पर्नेयूर्नाडु प्रदेशके अरुमोलिदेवपुरम् स्थानके नगरत्तार लोगों द्वारा तिरुप्परम्बूरके जिनमन्दिरमें प्रबोधन समारोहके अवसरपर दिये गये दोपदानोंका विवरण दिया है।] [रि० सा० ए० १९३९-४० ऋ० १३१-१३२] करडकल ( रायचूर, मैसूर ) शक १०८१ = सन् १९५९, कन्नड [ यह लेख कलचुर्य राजा त्रिभुवनैकवीर बिज्जलके राज्यकालमे आषाढ, दक्षिणायन संक्रान्ति, शक १०८१, प्रमायि संवत्सर, गुरुवारके दिन लिखा गया था। इसमे एक सेनापति तथा पद्मलदेवीका उल्लेख है तथा मूलमंघ-देसिगण-पुस्तकगच्छके किमी आचार्यको दान दिये जानेका उल्लेख है। इस समय यह लेव वीरभद्रमन्दिर में लगा है।] [रि० इ० ए० १९५३-५४ क्र ० २३८ पृ० ४१ ] २५२ केरेसन्ते ( कट्टर, मैसूर) १२वीं सदी ( सन् ११५९), कन्नड १ बहुधान्यसंवत्सरद माघ सु १५ रलु २ श्रीमत् प्रतापचक्रवति होयसण श्री ३ वीर नारसिंहदेवरसरु भडकेय पा. ४ रिशदेवन मग चिक्कमलण्णंगे केरेयसंथे५ य द्रविलसंघद आदिनाथदेवर पाश्वदेवर ६ बसदिगलिगे आ केरेयसंथेय हिर्यकेरेय
SR No.010113
Book TitleJain Shila Lekh Sangraha 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyadhar Johrapurkar
PublisherManikchand Digambar Jain Granthamala Samiti
Publication Year
Total Pages568
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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