SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 222
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ जैनशिलालेख-संग्रह [२४२ २४२-२४३ छतरपुर ( मध्यप्रदेश) सं० १२०८ = सन् १५५१, संस्कृत-नागरी [ ये दो लेख लखनऊ म्युजियमकी दो मूर्तियोंके पादपोठोंपर हैं। ये मूर्तियाँ छतरपुरसे प्राप्त हुई थीं। सुविधिनाथ तथा नेमिनाथकी इन मूर्तियोंकी स्थापनातिथि आषाढ शु० ५, गुरुवार, सं० १२०८ थी ऐसा लेखमे कहा है । ] [ मे० आ० स० ११ ( १९२२ ) पृ० १४ ] २४४ स्टेट म्युजियम, भरतपुर ( राजस्थान ) सं० ११०९ = सन् १०५३, संस्कृत-नागरी [ इस लेखमे ज्येष्ठ शु० (१) रविवार, संवत् ११०९ के दिन पार्श्वनाथमतिकी स्थापनाका उल्लेख है। लेख मूर्तिके पादपीठपर उत्कीर्ण किया है।] [रि० इ० ए० १९४७-४८ क्र० १६३ पृ० २१ ] २४५ शेडबाल ( बेलगांव, मैसूर ) शक १०७५ %= सन् ११५३, कन्नड [ यह लेख बसवण्णमन्दिरमे लगा हुआ है। इसमें सेणिग कोत्तलिद्वारा निर्मित जिनमन्दिरके लिए कुछ करोके उत्पन्नके दानका उल्लेख किया है। तिथि चैत्र शु० ५, रविवार, श्रीमुख संवत्सर शक १०७८ ऐसी दी है। किन्तु तिथि आदिको गणनानुसार यह शक १०७५ का लेख है।] [रि० इ० ए० १९५३-५४ क्र. १८७ पृ० ३६ ]
SR No.010113
Book TitleJain Shila Lekh Sangraha 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyadhar Johrapurkar
PublisherManikchand Digambar Jain Granthamala Samiti
Publication Year
Total Pages568
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy