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________________ जैन शिलालेख संग्रह [ १६८ राजाका शिरच्छेद किया था के १६वें वर्ष में यह लेख लिखा गया था । इसमें जननाथपुरम्के दो जैन मन्दिर चेदिकुलमाणिक्क पेरुम्बल्लि तथा गंगरुलसुंदर पेरुम्बल्लिका उल्लेख है । ] [ इ० म० तंजोर १००३ ] १२१ १६८ दोणि ( धारवाड, मैसूर ) चालुक्यविक्रम वर्ष २० = सन् १०९६, कनड [ यह लेख फाल्गुन शु० १३ गुरुवार, चालुक्यविक्रम वर्ष २० के दिन लिखा गया था । सम्राट् त्रिभुवनमल्ल ( विक्रमादित्य षष्ठ ) के राज्यका यह लेख है । इस समय यापनीय संघ वृक्षमूल गणके मुनिचन्द्र विद्य भट्टारकके शिष्य चारुकीर्ति पण्डितको सोविसेट्टि द्वारा एक उद्यान दान दिया गया था । ] [ मूल लेख कन्नडमे मुद्रित ] [ सा० इ० इ० ११ पृ० १६९ ] १६६ - १७० तुम्बदेवनहल्लि ( मैसूर ) चालुक्यविक्रम वर्ष २१ = सन् १०९६, कन्नड १ श्रीमदेरेयंगदेवर सबब्बर (सि) माडिसिद बसदि मंगल महा श्री २ स्वस्ति समस्तसुरासुरमस्तकमणिमकुटर श्मिरं जितचरणप्रस्तुत जिनेन्द्रशासन ३ मस्तु चिरं सकलमव्य चन्द्रजनानां । (१) मद्रमस्तु जिनशासनाय संभद्रतां प्रति 8 विधानहेतवे अन्य वा दिमदह स्तिमस्तकस्फाटनाय घटने पटीयसे ॥ (२)
SR No.010113
Book TitleJain Shila Lekh Sangraha 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyadhar Johrapurkar
PublisherManikchand Digambar Jain Granthamala Samiti
Publication Year
Total Pages568
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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