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________________ जैन शिलालेख-संग्रह [९१२३ रकरवर्गे २४ नेय २६ निलिसिदर् [ यह लेख एक स्तम्भके तीन बाजुओंपर खुदा है। इसमें अमृतब्बेकन्ति नामक महिलाके समाधि-मरणका तथा उसके पुत्र पद्मनन्दिभट्टारकद्वारा इस स्तम्भको स्थापनाका उल्लेख है । तिथि आषाढ़ शु० १०, सोमवार, शक ८९७, युवसंवत्सर, इस प्रकार दी है। ] [ए० रि० मै० १९३६ पृ० १९२ ] बेलट्टि ( धारवाड, मैसूर) (शक ) ९५१ = सन् ९९०, कन्नड [ जोगीबण्डि नामक पाषाणपर यह लेख है। अज्जरय्यके पेर्गडे आयतवर्मा द्वारा निर्मित बसदिका इसमे उल्लेख है। वर्ष ९११ दिया है जो सम्भवतः शकवर्षका उल्लेख है।] [रि० इ० ए० १९५३-५४ क्र० २०४ पृ० ३८ ] वेडल (जि. उत्तर अर्काट, मद्रास ) सन् ९९९, तमिल पाण्डार मडम् नामक पहाड़ीकी एक गुहाके आगे [ यह लेख चोल राजा राजकेसरिवर्मन्के १४ वें वर्षका है। इसमें गुणकोतिभटारके शिष्य कनकवीर कुरट्टिका तथा मादेवी अरिन्दमंगलम्का उल्लेख है। ] [इ० म० उत्तर अर्काट ७४४ ] खण्डगिरि-ललतेंदुकेसरि गुहा १०वीं सदी, संस्कृत-नागरी १ ओं श्री उद्योतकेसरिविजयराज्यसंवत् ५
SR No.010113
Book TitleJain Shila Lekh Sangraha 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyadhar Johrapurkar
PublisherManikchand Digambar Jain Granthamala Samiti
Publication Year
Total Pages568
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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