SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 39
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ (२१३-२१४ श्रादि) में वर्धमान, एवं गौतमस्वामी के उल्लेख पूर्वक कतिपय प्रसिद्ध जैनाचार्यों का निर्देश किया गया है-जैसे कोण्डकुन्दाचार्य, भद्रबाहु, समन्तभद्रस्वामी, सिंहनन्दि, अकलंक देव, वानन्दि, पूज्यपाद स्वामी आदि । इन लेखों में यह दिखाने का प्रयत्न किया गया है कि प्रायः सभी प्रतिष्ठित प्राचीन श्राचार्य द्रविड़ संघ के नन्दिसंघ के अन्तर्गत थे। हम पहले संभावना कर चुके हैं कि नन्दि संघ द्रविड़ संघ में यापनीय संघ से आया है । नन्दिसंघ की एक प्राचीन प्राकृत पट्टावली भी है। जिसमें भगवान महावीर के बाद ६८३ वर्षों तक की परम्परा दी गई है। उसके बाद के क्रम का उल्लेख करने वाली कोई प्रामाणिक पट्टावली उपलब्ध नहीं होती । संभव है द्रविड़ संघ में श्राकर नन्दिसंघ के पश्चात्कालीन श्राचार्यों ने अपनी स्मृति से कुछ परम्परा को सुरक्षित रखने के लिए लेखों में उक्त आचार्यों का निर्देश किया हो । यह निर्देश सूचित करता है कि उक्त श्राचार्य उस नन्दिसंघ के अन्तर्गत थे जो कि प्रारम्भिक शताब्दियों में यापनीय था। इस संघ के अन्तर्गत नन्दिसंघ के साथ प्रत्येक लेख में अरुङ्गलान्वय का उल्लेख मिलता है। अरुङ्गलान्वय किसी स्थानविशेष की अपेक्षा सूचित करता है । अरुङ्गल नाम का स्थान भी तामिल प्रान्त के गुडियपत्तन तालुका में हैं जो कि एक प्राचीन जैन स्थान था । हम यापनीय संघ के वर्णन में देख चुके हैं कि तामिल प्रान्त में यापनीय नन्दिसंघ का अस्तित्व पूर्वीय चालुक्यों के राज्य में था। द्रविड़ संघ, नन्दिसघ, अरुजालान्वय इन तीनों शब्दों का एकत्र प्रयोग हमें निःसन्देह सूचित करता है कि वह तामिल प्रान्त का नन्दिसंघ था जो कि अरुङ्गल स्थान से उदभूत हुआ था। इससे अब हमें यह कहने में संकोच न होना चाहिये कि तामिल प्रान्त के यापनीयों के नन्दिसंघ से ही द्रविड़ सघ के नन्दिसंघ को उत्तराधिकार मिला था । १. पखंडागम, पुस्तक १, पृ० २४-२७। संभव है यह पट्टावली प्राचीन याप नीय नन्दिसंघ की हो।
SR No.010112
Book TitleJain Shila Lekh Sangraha 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGulabchandra Chaudhary
PublisherManikchand Digambar Jain Granthamala Samiti
Publication Year1957
Total Pages579
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy