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________________ नित्तरुके लेख २० [विमा काल-निर्देशका, पर संभवतः १३..ई. .] [मिसूरु ( गुब्वि परगना ) में, आदीश्वर बस्तिकी उत्तरीय दीपाळमें एक पाषाणके बायी ओर की तरफ ] माळब्बेय मग वामि-सेट्टिय मदवळिगे बूचब्बेय निषिधि ॥ [माळव्वेयके पुत्र बामि-सेटिकी पत्नी बूचग्वेकी निषिधि (स्मारक) यह है।] [E C, XII, Gubbi tl., No 6] ४४१ नितूरु:-कबद । [विना का निर्देशका पर संभवतः १२००ई०१ का] [नित्तन ( गुब्बि परगना ) में, आदीश्वर बस्तिको उत्तरोय दोवाल में एक पाषाणके दाहिनी ओर] माळव्येय मळिळ-सेट्रिय तन्दे गुणद बेडङ्ग मनि-सेट्टियुमातन प्रिय-पुत्र माळेग्यनुमेन्द् इबर निषिधि ॥ [मालम्बेके पिता मलि सेट्टि, और मल्लि-सेट्टिके प्रिय पुत्र माळय्य दोनोंकी स्मारक यह है। [E.C., XII, Gabbi, tl., No.71
SR No.010112
Book TitleJain Shila Lekh Sangraha 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGulabchandra Chaudhary
PublisherManikchand Digambar Jain Granthamala Samiti
Publication Year1957
Total Pages579
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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