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________________ बिन-महिमोत्तुंग विश्व - लक्ष्मी-सङ्गम् । बिन-महिम ...... ... जिन-समय- वार्धि - हिमकर । बिन-मत-ल ... ... ... ... ... एलेवालके लेख ... नम - निदानं तनगेने । न त नी दे कि सेट्टि धारिणिगेसेदम् ||! दडे || ...... 'देकि-सेड्डि कीर्त्ति - विळासम् ॥ .. 200 अवर गुरु ... ... ... कुन्तल - गौड़ - माळव-जजा हुति - दोहळि पोहियाण या । विदर्भणदिन्दे बन्दु सै- | द्धान्तिक - पद्मणन्दि- सुतनी - मुनिचन्द्रनोलेय्दे 'यिन्तु हरेदत्तु समस्त - घरा-तळा प्रदोळ. ॥ । ...... .... 888 अतितीवानल - काळकूट तनं माणदे बिननुङ्गिदुद्- | 'नाडिव कन्दर्पे बरत्कम्मने । वी- । बलुगे -तप-श्री-मुनिचन्द्र देब-मुनियङ्गक्कुं पेरङ्गक्कौमे ॥ आरवडे भेश्वङ्कम् । गणित- स्थिति तत्- | 1 ... 1 बारह सारतर - सूक्ष्म-तत्त्व-वि- । चारं मुनिचन्द्र यतिगे हस्तामलकम् ॥ अवर तेन्दडे ॥ ....... ... ... श्रीमन्मूल-पदादि-सङ्घ- तिळके श्री कोण्डकुन्दान्वये । कानूर् नाम- गणो 'तिन्त्रिणीकाहये । शिष्य : श्री मुनिचन्द्र देव यमिनः सैद्धान्त - पारङ्गमो । श्रीयाद् ... श्री भानुकीर्त्तिम्मुनिः ॥ ... r. १७३
SR No.010112
Book TitleJain Shila Lekh Sangraha 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGulabchandra Chaudhary
PublisherManikchand Digambar Jain Granthamala Samiti
Publication Year1957
Total Pages579
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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