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________________ ताम्रादि धातुओं पर भी उत्कीर्ण अनेकों जैन लेख पाये जाते हैं, उदाहरण के रूप में मर्करा का ताम्रपत्र एवं कदम्ब वंश के कतिपय लेख समझने चाहिये। ___ इन लेखों में अधिकांश पर काल निर्देश देखा गया है, चाहे वह शासन करने वाले राजा का संवत् हो, चाहे वह शक संवत्, विक्रम संवत् या ज्योतिष शास्त्रप्रणीत प्लङ्ग, खर आदि संवत् हो । ये संवत् राजनीतिक, धार्मिक, एवं सांस्कृतिक इतिहास की दृष्टि से बड़े महत्त्व के हैं। जैन लेखों की प्रकृति समझने के लिये, हम उन्हें अनेक दृष्टियों से विभक्त कर सकते हैं, जैसे उत्तर भारत के लेख, दक्षिण भारत के लेख, दिगम्बर सम्प्रदाय के, श्वेताम्बर सम्प्रदाय के, राजनीतिक, धार्मिक तथा भाषावार संस्कृत, प्राकृत, कनड़, तामिल आदि,इमी तरह लिपि के अनुसार भी। पर वास्तव में इनके दो ही भेद करना ठीक है, एक तो राजनीतिक शासन पत्रों के रूप में या अधिकारिवर्ग द्वारा उत्कीर्णं और दूसरे सांस्कृतिक, जनवर्ग से सम्बधित । राजनीतिक एवं अधिकारिवर्ग से सम्बंधित लेख प्रायः प्रशस्तियों के रूप में होते हैं। इनमें राजाओं को अनेक विरुदावलो, सामरिक विजय, वंश परिचय आदि के साथ मंदिर, मूर्ति या पुरोहित आदि के लिए भूमिदान, ग्रामदानादि का वर्णन होता है । सांस्कृतिक एवं जनवर्ग से सम्बंधित लेखों का क्षेत्र बहुत विस्तृत है। ये लेख अपनी धार्मिक मान्यता के लिए भक्त एवं श्रद्धालु पुरुष या स्त्रीवर्ग द्वारा लिखाये जाते थे। ऐसे लेख १-२ पंक्ति के रूप में मूर्ति के पादुकापट्टों पर तथा कुटुम्ब एवं व्यक्ति की प्रशंसा में उच्च कोटि के काव्य रूप में भी पाये जाते हैं । इनसे अनेक जातियों के सामाजिक इतिहास और जैनाचार्यों के संब, गण, गच्छ, पट्टावली के रूप में धार्मिक इतिहास के अतिरिक्त सांस्कृतिक एवं राजनीतिक इतिहास का परिचय मिलता है । इन लेखों में प्रायः मूर्तियों, धर्मस्थानों, और मंदिरों के निर्माण का काल अङ्कित रहता है । जिससे कला और धर्म के विकास-क्रम को समझने में बड़ी सहायता मिलती है, और सामाजिक स्थिति का परिज्ञान-एक देश से दूसरे . देश में जैन कव फैले और वहाँ जैन धर्म का प्रसार अधिकाधिक कब हुआ--भी हो जाता है । अनेक जैन भक्त पुरुषों और महिलाओं के नाम भी इन लेखों से
SR No.010112
Book TitleJain Shila Lekh Sangraha 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGulabchandra Chaudhary
PublisherManikchand Digambar Jain Granthamala Samiti
Publication Year1957
Total Pages579
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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