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________________ तिपयारी वो पप्पा परबाहि देही । B तम्य परो, संतोषाण बहि महिना 12 जैन रहस्यवाद के इतिहास के मूल सर्जक और प्राचार्य !" से कुन्द, fere च मामा के मूल स्वरूप को प्राप्त करने का रहस्य प्रसव कर जन-दर्शन में हर मामा में परमात्मा बनने की शक्ति निहित मात्मा के तीन से बतलाये हैं-मन्तरात्मा, बहिरात्सा और परमात्मा से परे मन के द्वारा देखा जाने वाला "मैं हूँ" इस स्वसंवेदन स्वच्छ होता है । इन्द्रियों के स्पर्शनादि द्वारा पदार्थज्ञान कराने वाला बहराना है और ज्ञानावरणादिक द्रव्य कर्म, रागद्वेषादिक भावकर्म, शरीरादिक नौकर्म रहित अन ज्ञानादिक गुरण सहित परमात्मा होता है । अन्तरात्मा के उपाय से बहिरात्मा का परिस्याग करके परमात्मा का ध्यान किया जाता है । यह परमात्मा परम सर्व कर्म विमुक्त, शाश्वत और सिद्ध है 15 "तिपय सो अप्पा परमंतरवाहिरी हु देहीलं । तत्थ परो भाइज्ज अंतोबारण वयहि बहिरप्पा ॥ "earty वहिरप्पा प्रन्तर प्रप्याहु म्रत्वसंकल्पी | कम्मकलंक विमुक्sो परमप्पा भए देवो ॥ 87* I+ इस दृष्टि से कुन्दकुन्दाचार्य निस्संदेह प्रथम रहस्यवादी कवि कहे जा सकते, है । उन्होने समयसार, प्रवचनसार, पंचास्तिकाय, नियमसार मावि ग्रन्थों में इसका सुन्दर विश्लेषण किया है। ये ग्रन्थ प्राचीन जैन मंग साहित्य पर भारत हे बैं जहा माध्यात्मिक चेतना को जाग्रत करने का स्वर बुजित होता है, । याचा मूल प्राचीनतम पग प्रन्थ है। यहां जैन धर्म मानव धर्म के रूप में अधिक गुजरा है। वहां 'प्रारिएहि" शब्द से प्राचीन परम्परा का उल्लेख करते हुए समता को ही धर्म कहा है-समियाए धम्मे भारिएहि पवेविते । प्रावारांग का प्रारम्भ वस्तुत: "इय मेगेसिंगो सख्त भबई" (इस संचार मे किन्हीं जीवों को शान नहीं होता) सूत्र से होता है इस सूत्र में आत्मा का स्वरूप तथा संसार में उसके भटकने के कारणों की ओर इंगित हुआ है । 'संज्ञा ) शब्द अनुभव और ज्ञान को समाहित किये हुये हैं । अनुभव मुख्यतः सोलह प्रकार के होते हैं-प्राहार, भय, मैथुन, परिग्रह, कोष, मान, माया, लोभ, शोक, मोह, 1. मोक्लपाहुडकुन्दकुन्दाचार्य 4 ग. पार्श्व के पंच महाव्रत अनेकांत, वर्ष 30, फिर 1, पृ. 23-27. मार्च 1977 2. मोमपा
SR No.010109
Book TitleJain Sanskrutik Chetna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPushpalata Jain
PublisherSanmati Vidyapith Nagpur
Publication Year1984
Total Pages137
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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