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________________ 54 के रपये में देखक को मुनि उत्तमचन्द जी, उपाध्याम पात्माराम बी, मुनि साथबजी तवा मुनि देवचन्द्रजी का भी सहयोग, मिना । ...मरतील . गनदेखकर ने भी इसमें सहयोग दिया। इन सभी विद्वानों के सहयोग कोख स स में प्रकाशित सो सका है। गें. बूलर की विस्तृत प्रस्तावना पार परसारखम भणबारी की विस्तृत म प्रेजी भूमिका के साथ यह कोस पार भावों में इस प्रकार प्रकाशित हुमा . भार1 'अ' वर्ण . पृ. 612 प्रकाशन काल सन् 1923 माम 2 'म' से 'रण' वर्ण तक पृ. 1002 ___.. सन् 1927 भाम3 'त' से 'ब' वर्ण तक लगभग पृ. 1000, सन् 1929 माम 'भ' सेहवणं तक पृ. 1015 सन् 1932 (परिशिष्ट सहित) इस प्रकार लगभग 3600 पृष्ठो मे यह कोश समाप्त हो जाता है। इसे हम पंच भाषा कोश कह सकते है क्योकि यह प्राकृत के साथ ही सस्कृत गुजराती हिन्दी और अंग्रेजी भाषामो मे रुपान्तरितहमा है । लगभग सभी शब्दो के साथ यथावश्यक भूल उखरगो को भी इसमे सम्मिलित किया गया है। ये उद्धरण सक्षिप्त पोर उपयोगी है। उनमे अभियान राजेन्द्र कोश जैसी बोझिलता नहीं दिखती। अभिधान रावेन्द्र कोश की पन्य कमियों को भी यहाँ परिमार्जित करने का प्रयल किया गया है। इस कोश में भागम साहित्य तथा मागम से निकटतः सम्बन्ध रखने वाले विशेषा. वश्यक भाष्य पिंड, नियुक्ति, मोपनियुक्ति प्रादि ग्रयो का उपयोग किया गया है। साप ही शम्द के साथ उसका व्याकरण भी प्रस्तुत किया गया है। मधमागधी से प्रतिरिक्त प्राकृत बोलियो के शब्दों को भी इसमें कुछ स्थान दिया गया है । इसके चारों भागो में कुछ परम्परागत चित्र भी सयोजित कर दिये गये है जिनमे मामलिन काध विमान, पासन्, अबलोक, उपशमधेणी, कनकाबली, कृष्णराजी, कालमा अपकोणी, धनरम्यु, षनोदधि, 14 रत्न' चन्द्रमण्डल, जम्बूदीप, नक्षत्रमाल, भरत, मेरू, लवरणसमुद्र लोभ, विमारण प्रादि प्रमुख हैं । इस कोश का सम्पूरणं नाम An Illustrated Ardha-Magadhi Dictionary है और इसका प्रकाशन S. S. Jaina Conference इन्दौर द्वारा हुमा है। इस कोश के परिशिष्ट के रूप में सन् 1938 में पचम भाग भी प्रकाशित हुमा । इसमें पर्षमागधी, देशी तथा महाराष्ट्री शब्दो का संस्कृत, गुजराती हिन्दी मौर मप्रेजी भाषामों के पनुवाद के साथ सग्रह हुमा है । परन्तु उनका यहां व्याकरण नहीं दिया जा सका । यह भाप भी लगभग 900 पृष्ठो का है। मुनि रनचन्द्र जी का.मह सम्पूर्ण कोश छात्रों पौर शोषकों के लिए उद्धरण अंग-सा बन गया है। मुनिजी का जन्म सं. 1936 वंशाख शुक्ल 12 गुरुवार को
SR No.010109
Book TitleJain Sanskrutik Chetna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPushpalata Jain
PublisherSanmati Vidyapith Nagpur
Publication Year1984
Total Pages137
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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