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________________ तादौ सुर्नयों का तथा पांच मस्तिकाय, सप्त तस्य धीर नौ होगा । इसमें 14 वस्तु 283 प्राबुन और होते हैं। 3. J कर्मजीवों के का वर्णन है । प्रादि के का नरेन्द्र चक्रवर्ती, बलवेव वीर्य, काकी, मनवीर्य आदि नीम का भी यहां विबरण मिला है। इसमें 8 160 70 पद हैं। 4.स्वाद-इसमें स्वरूप मादि चतुष्टम की अमेजन के अस्थिका र रूपादि चतुष्टय की अपेक्षा उसके नास्तित्व का वर्णन है । इ 18 वस्तु, 360 माह और एक कम एक करोड़ पद है । 5. यहां मति, भूत प्रादि पांचों ज्ञानों की उत्पत्ति, स्वप प्रकार for wife का विवेचन है। इसमें 12 वस्तु, 240 पार, और एक करोड़ पत्र हैं। 6. सत् प्रवाद - द्रव्य के संदर्भ में विवचेन है । 7. प्रात्मबाद- प्रात्मा के अस्तित्व, नास्तित्व भावि धर्मों का, उसके ster कर्त्तव मादि स्वरूप का विस्तृत वर्णन है। इसमें 15 वस्तु, 320 पाहूड, और 26 करोड़ पद होते हैं । 13 4: पदार्थों का परिसन ला 8. कर्म प्रवाद - कर्मों के स्वरूप, बन्ध, उदप, व्युच्छिति प्रादि पर प्रकाश मलता है। इसमें 20 वस्तु, 400 पाहड़ धौर एक करोड़ प्रस्सी लाख पद होते हैं । 9. प्रधान प्रवाद-प्रत, प्राचार, प्रतिक्रमण, प्रतिभा, बाहाना, बिना समिति, गुप्ति प्रादि का वसंत है। इसमें 30 वस्तु, 600 और 841 माल पद होते हैं । 10. बाबा विद्यार्थी, निमित्तों, स्वप्नों, ऋद्धि-सिद्धियों यादि का वन है । इसमें 15 वस्तु, 300 पाहुड, पोर एक करोड़ 10 लाख पर होते है । 11.सूर्य, चन्द्रमा, ग्रह, नक्षत्र, तारा गश आदि की उत्पत्ति, यमन, सकुन, शुभ, अशुभ प्रादि का वन है। इसमें 10 वस्तु, 2 पाहुड़ और 26 करोड़ पद होते हैं । बाद प्रवाद-इन्द्रिय, वासोच्छवास, भायुष्य भौर प्रारण का नि वस्तु 20 पाहड़ मौर 13 करोड़ किंवा 12 करोड़ पा 12. है। इसमें 10 प्रह.. हैं. 1 13. क्ष्मी, सादि वास्त्रों का बहन है। इसमें 10 करोड़ 4 प्रबुन क्रियाओं का बहतर कमाशों का काम के 200, पाक,
SR No.010109
Book TitleJain Sanskrutik Chetna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPushpalata Jain
PublisherSanmati Vidyapith Nagpur
Publication Year1984
Total Pages137
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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