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________________ नीर नवीदिक परिवर्तन भी बड़ी तेजी से हो रहे है। कामाद असामायिक जीवन पर पड़े बिना कैसे रह सकता है ? कोमा नारी में होने की वेश्या और राजनीतिक प्रषिकारों की जानकारी के अतिरिक्त, अन्तर्राष्ट्रीय क्षेत्र में होने मा परिवर्तनों की जानकारी भी परमावश्यक है | को ・ है महिला ने सर स्वभाव, कर्मठ कार्यक्षमता, व्यवस्थित संयोजनशीलता तथा प्रारमीय निश्णसनीयता से समाज और परिवार के विभिष घटकों में परस्पर सौहार्द मीर सौजन्य का वातावरण बना सकती हैं। पुरुष वर्ग स्वयं उस मिठास भरे गावागरण से प्राकर्षित होकर पारिवारिक उत्तरदायित्व में पूरी तन्मयता के साथ जुट जायेगा, घरेलु कार्यों में हाथ बटाकर संसार की शिक्षादीक्षा में भरपूर साथ देवा तथा महिलाओं को भी भागे बढ़ने, प्रगति करने और अपनी प्रतिभा को मकसित करने का पूरा अवसर प्रदान करेगा । साथ ही आधुनिक नावावर ब वस्तुतः बालकों में उत्तम संस्कारो के निर्मारण करने, परिवार को उत बनाने और संतान को सुशिक्षित करने की जिम्मेदारी महिलाओं की अपनी है । संस्कारों कानना-बिगडना सामाजिक वातावरण पर निर्भर करता है । किन्तु सर्वाधिक उत्तरदायित्व माता के रूप में नारी पर ही है क्योकि पुरुष तो दिन भर चापान के निमित्त प्रायः घर से बाहर रहते हैं । बालकों को जीवनोपयोगी शिक्षा देने तथा उनके दैनिक क्रिया-कलापों की देख रेख करने का गुरुतर भार भी उनके ही कंचों पर रहता है। इसीलिए उन्हें ही कहा गया है । "यमस्तु तत्र देवता: " जाला कथन महिला के महत्व को स्पष्ट होतत करता है। ते महिलाएं ही परिवार के प्रत्येक सदस्य के बीच पारस्परिक समझ का भाव जाग्रत करके दो पीढ़ियों के बीच समन्वय स्थापित कर सकती है। वे अपनी सहज सूझ-बूझ, सहानुभूति, सहिष्णुता, मीर सदभावना जैसे माधुर्य गुणों द्वारा नई और 'पुरानी पीढ़ी के बीच पंगारिक दृष्टिकोटा में संसद के कारण को बार पड़ जाती है उसे पाट सकती हैं। परिवार में विबदन प्रायः सम्स और बहू इन दो सुखी और नई पीढ़ी में ममेद होने के कारण ही होते हैं। ऐसे समय सुरात्री पीढ़ीकिभी कभी बहू भी उस करिए।
SR No.010109
Book TitleJain Sanskrutik Chetna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPushpalata Jain
PublisherSanmati Vidyapith Nagpur
Publication Year1984
Total Pages137
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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