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________________ ६०४ } [ ★ जैन निवन्ध रत्नावली भाग २ नीचे दिये जाते है। इनमे मुनिका भोजनकाल मध्याह्न लिख हुआ है-- (१) अशगकवि कृत महावीर-चरित्र सर्ग १७ श्लोक ११६ वाँ । (२) हरिपेण कथाकोश संस्कृत के पृष्ठ २१७ श्लोक ११४ वाँ, पृष्ठ २७३ श्लोक १८७ वां, पृष्ठ ३०७ श्लोक ५५ वाँ, पृष्ठ ३५४ श्लोक १३४ वा (अथ मध्याह्न वेलाया भिक्षार्थ त महामुनि) (३) मूलाचार अधिकार ४ गाया १८० की टीका । अधिकार ६ गाथा ३२ की टीका। (४) प० मेधावी कृत श्रावकाचार अधिकार ५ श्लोक ६३ वा । अधिकार ८ श्लोक ५१/अ०६ श्लोक ३१ ( मध्याह्न ऋषि पुगवे.) (५) ब्र० नेमिदत्त कृत कथाकोश मे उद्दायन राजा की कथा (६) सूत्र प्राभृत की गाथा २२ की श्रुतसागरी टीका । दिवसमध्ये एक वार । (७) लाटी सहिता अ० ६, अ० ६ श्लोक २३१ । (८) प० आशाधर विरचित अभिषेक पाठ के श्लोक १६ की श्रुतसागरी टीका। (६) जम्वू स्वामी चरित ( ५० रायमल्ल कृत) परिच्छेद ४ श्लोक १०१
SR No.010107
Book TitleJain Nibandh Ratnavali 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMilapchand Katariya
PublisherBharatiya Digambar Jain Sahitya
Publication Year1990
Total Pages685
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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