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________________ प्रतिष्ठा तिलक के कर्ता नेमिचन्द्र का समय ] [ १६६ उक्त प्रतिष्ठातिलक के पर्ता नेमिचन्द्र कब हुए ? अव हम इस पर विचार करते हैं। इन नेमिचन्द्र ने जो अपनी वंशावली दी है उसके अनुसार ब्रह्मसूरि रिश्ते मे इनके मामा लगते थे । मैमिचन्द्र ने हस्तिमल्ल के कुल मे होने वाले कोछपाल द्विज से लेकर अपने पिता देवेन्द्र तक करीब ६ पीढी का उल्लेख किया है। इन पीढियो का समय यदि दो सौ वर्ष भी मान लिया जाय तो नेमिचन्द्र का समय विक्रम की १६ वीं शताब्दि का पूर्वार्द्ध बनता है। किन्तु नेमिचन्द्र के समय में ही उनके मामा ब्रह्मसूरि हए हैं उन्होने भी प्रतिष्ठाग्राथ बनाया है उसमे वे लिखते हैं कि_ 'पांड्य देश मे गुडिपत्तन नगर के राजा पांडव नरेन्द्र थे । गोविद भट्ट यहीं के रहने वाले थे। उनके हस्तिमल्ल कों आदि लेकर छह पुत्र थे । हस्तिमल्ल के पुत्र का नाम पार्श्वपडित था। वह अपने बन्धुओ के साथ होयसल देश में जाकर रहने लगा था जिसकी राजधानी छत्रयपुरी थी। पार्श्वपडित के चन्द्रप, 'चन्द्रनाथ, और वैजय्य नामक तीन पुत्र थे। उनमे से चन्द्रनाथ अपने परिवार के साथ हमाचल मे जा बसा और दो भाई अन्य स्थानो को चले गए । चन्द्रप के पुत्र विजयेन्द्र हुआ और विजयेन्द्र के ब्रह्मसूरिं।" ब्रह्मसूरि के इस कथनानुसार हस्तिमल्ल उनके पितामह के पितामह थे । यदि एक एक पीढी के २५-२५ वर्ष गिन लिए जाये तो हस्तिमाल उनसे लगभग सौ वर्ष पहले के थे । इससे नेमिचन्द्र और ब्रह्मसूरि का समय विक्रम की १५ वीं शताब्दि का पूर्वार्द्ध सिद्ध हाता है । ऊरर हम १६ वीं सदी का पूर्वार्द्ध बता आये हैं । दोनो में एकमौ वर्ष का अन्तर है ।
SR No.010107
Book TitleJain Nibandh Ratnavali 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMilapchand Katariya
PublisherBharatiya Digambar Jain Sahitya
Publication Year1990
Total Pages685
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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