SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 69
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ अमरचन्द सोगानी- भयाराम के पुत्र थे, दिग. जैन, १७७२-७७ ई० में जयपुर राज्य के दीवान रहे । [प्रमुख. ३४० ] १. फागी निवासी चर्चासंग्रह के कर्ता । अमरचन्द्र २. लुहाड़ा, पंडित, १८३४ ई० में वोसविहरमान पूजा, व्रतविधान पूजा आदि रची थीं। ३ भादिनाथ चरित्र ( प्रा० ), जनदत्तकया, काव्याम्नाय वनमालानाटक, सम्यक्त्वकुलक, हैमशब्द-समुच्चय, उपदेशमालाअक्चूरि ( १४६१ ई०), आदि ग्रन्थों के कर्ता नाम एक धा अधिक विद्वान, श्वे. संभव है इनमें से कोई या कुछ गृहस्थ भी हों । [टंक ] अमरचन्द्र सूरि- १. श्वे. यति, हेमचन्द्राचार्य के शिष्य या सहयोगी विद्वान, गुजरात नरेश जयसिंह सिद्धराज (१०९४-११४३ ई०) द्वारा 'सिंहशिशुक' उपाधि से सम्मानित । [ प्रमुख. २३१-२] २. नागेन्द्रगच्छी आनन्दसूरि के गुरुभाई सिद्धान्तार्णव के कर्त्ता - १२बी शती । ३. श्वे. जैनदत्त के शिष्य, १३वीं शती, पद्मानन्द काव्य ( जिनेन्द्र चरित्र), कलाकलाप, अलंकार प्रबोध, सूक्तावली, काव्यकल्पलतापरिमल सटीक, बादि के कर्ता दे, अमरचन्दकवि । खम्भात निवासी गोवहगोत्री ओसवाल पद्मसी के पुत्र, दिल्ली आकर मुगल बादशाह शाहजहाँ को एक बहुमूल्य रत्न भेंट किया और 'राय' की उपाधि पाई । इनका भाई श्रीपति था, पुत्र उदयचन्द और पौत्र सभाचन्द एवं फनहचन्द थे - फनचन्द को उसके मामा सेठ मानकचन्द ने गोद ले लिया था, और वही फतहचन्द बंगाल ( मुर्शिदाबाद ) का सुप्रसिद्ध प्रथम जगत्सेठ हुआ । [टंक. ] अमरनम्बि--- विधानन्दि की शिष्य परम्परा में और माणिक्यनन्दि को नुक परम्परा में हुए अमरनन्दि, १३९० ई० के एक शि. ले. के अनुसार । [ जैशिस. 1. १०५ ] अमरप्रमसूरि- मक्तामर स्तोत्र की सुखबोषिकावृत्ति नामक टीका के रचयिता, ऐतिहासिक व्यक्तिकोष अमरबस ५५
SR No.010105
Book TitleJain Jyoti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJyoti Prasad Jain
PublisherGyandip Prakashan
Publication Year1988
Total Pages205
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy