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________________ जनों का भी उल्लेख किया है । वह एक उदार सहिष्ण सूफी विद्वान था। [भाइ. ४८५ प्रमुख. २२०; शोषक. १७-१८] मन्ज - . पड़मचन्द्र । मरहमान- प्रसिद्ध अपभ्रम्हकाव्य 'संदेसरासक' का कर्ता, बनों से प्रभावित, उस ग्रन्थ की प्रतियां भी जैन मास्त्र भंडारों में ही मिली हैं समय १२वीं शती ई.। [टंक] अनुरहमान कुनवाला-दिल्ली निवासी मुसलमान, रत्नों की कटाई का काम करता पा, एक स्थानकवासी साधु के प्रभाव से बैनधर्म अपनालिया, मृत्यु. १९१३ ई. [क] अम्मकारेणी-चोटवंश की राजकुमारी ने अपनी भगिनी पदुमलदेवी के पुण्यार्थ, १५७१६० में एक ताम्रशासन द्वारा मूडिविड़े की बसदि को दान दिया था। [शिसं. iv. ४८०] अम्बालदेवी- गंगनरेश अरुमुलिदेव रक्कसगंग (ल. १.५० ई.) की धर्मात्मा रानी । [जैशिसं. २१३; iv. ४१०] अम्बलम्बा- अपरनाम चन्द्रबेलम्बे, राष्ट्रकूट राजकुमारी, सम्राट अमोघवर्ष प्र. (१५-७६ ई.) की पुत्री, और गंगनरेश राचमल्ल सत्यवाक्य द्वि. के अनुज एवं उत्तराधिकारी बतुप गुणदुत्तरंग की पत्नी तथा कोमार बेडेंग एरेवंग की जननी, धर्मात्मा जिनमक्त राजरानी । [शिसं. १. १४२; प्रमुख. ७७] करके बैन महाकवि रन (जन्म ९४९ ६०) की धर्मात्मा जननी। मओय मावस या माधर-उस पारमा मार या मारेय का पिता, जिसने १९२० ६. के लगभग मत्तवर की बसति में तपस्विनी बायिका चटवे. गन्ति का स्मारक बनवाया था। [जैशिसं. ii. २७३;iv. ४१०; मेज. ३३९] १. ती. महावीर कालीन १. अनुत्तरोपपादक मुनिवरों में से एक। [सिको. ७.] २. भद्रबाहु दि (० पू० ३७.१४) के गुरु यशोबाहु का अपर ३. दे. अभयकुमार वा बभवराजकुमार । ऐतिहासिक व्यक्तिकोष
SR No.010105
Book TitleJain Jyoti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJyoti Prasad Jain
PublisherGyandip Prakashan
Publication Year1988
Total Pages205
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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