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________________ आयुषण - १०वीं शती ई. के प्रसिद्ध दिग. जैन दण्डनायक श्रीविषय की एक उपाधि । [टक; एई. x. पृ. १४७-५३; शिसं. iv-९७) अनुपमादेवी- विदुषी, कलामर्मज्ञ, धर्मात्मा महिला, राज्यमन्त्री तेजपाल की धर्मपत्नी, उसी की प्रेरणा एवं देवरेख मे मन्त्रीपर तेजपालबस्तुपाल द्वय ने शत्रुञ्जय एवं गिरनार के और बाबू के विश्व. प्रसिद्ध देलवाड़ा जिनमंदिरों का निर्माण कराया था, १२३. ई. में. [टंक.; गच. २९५] १. या बनिस्त, महाभारतकालीन कृष्ण का पौत्र और प्रघुम्न का पुत्र । २. मगधनरेश उदायी का उत्तराधिकारी, जिसके उपरान्त मुण्ड, नागदशक बादि राजा हुए। [प्रमुख. २०] अनूपसिंह जिनचन्द्रसूरि का भक्त, जैनधर्म पोषक बीकानेर नरेश, १६६९. ९८६० (प्रमुख ३३६] अनूपसिंह भंडारी-जोधपुर निवासी ओसवाल, जब जोधपुर नरेश अजीतसिंह गुजरात का सूबेदार था (१७२०-२१ ई. में) तो यह भंडारी वहाँ उसका प्रतिनिधि तथा सर्वेसर्वा शासक था, किन्तु कर एवं अत्याचारी था, उसने कपूरचंद भंसाली को हत्या कराई । जब १७२१ में हैदरकुली खां सूबेदार हवा तो अहमदाबाद की जनता ने भंगरी की हवेली पर भाक्रमण कर दिया, वह कठिनाई से जान बचाकर भाग सका। [प्रमुख. ३११, टंक] अनंगपाल तोमर-दिल्ली नगर का निर्माण करने वाला तोमरवंशी अनंगपाल प्र. (७९६ ई.); उसके वंशजों में अनंगपाल वि. तथा कुछ कालो. परान्त अनंगपाल त• (११३२ ६०) था, जिसका राज्यश्रेष्ठि नट्टलसाहू था- उसने दिल्ली में कई विशाल एवं भव्य जिनमंदिर बनवाये थे। यह तथा उस वंश के प्राय: सभी राजा जैनधर्म के प्रश्रयदाता थे। [भाइ. १६६; प्रमुख.२०८-२०९; जैसो. २१९] मनन्तप्प, कन्नडकवि, अहिंसाक नामक यक्षगान (ल. १७२० ई.) का रचयिता, चन्दण्ण श्रेष्ठि और उसकी भार्या पन्नम का पुत्र, चिक्क-बल्लालपुर के राजा बचभूप का भाषित । [ककच.] मन्तप्प ३२ ऐतिहासिक ब्यक्तिकोष
SR No.010105
Book TitleJain Jyoti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJyoti Prasad Jain
PublisherGyandip Prakashan
Publication Year1988
Total Pages205
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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