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________________ अचलदार - अचला चाची www मनिस्ट्रेट भी रहे १००० १०९३ र १०५९ ई० के दुनिय में तब बनता में निशुल्क विवरण किया था। [टांक] ००) के प्रेमी चन्द्रावत राजा, ह ल. १५५० ई० । [२५३-४] 3. grow i fwww*w*** *tw # रानीम. १०६०६० । एक [ng to; #fæ ii ze¶]· * होगा नरेश रहि * (११४९-७१ ६०) की रानी, . की जननी- दे. एचसी । ३. वी [मेजे. १६९ ] धर्मात्मा पत्नी । - वणी (व.) की एक जैन महिला, महहण की पुत्री, भद्रवश की पुत्रवधु, भद्रनंदि भार्या, जिसने मथुरा में एक सुन्दर प्रस्तर मा पित किया था। एई, १४,३२] राजपुरा- भानुपुरा के जिमचर्म पोषक पन्द्रावतवंशी राजा दुर्गमान ( **१९-९३ ई०) का पिता । [ख २८७ ] - मोहनीय गोशाल, वंशसंस्थापक मोहनजी की १८वीं पीढ़ी में, नागराज का पीच, काका की प्रसिद्धि के तानों का पितामह, जोधपुर नरेश राम्रो चन्द्र ने १५६२ ई० में नदी पर बैठते हो अचलोजी को अपना मंत्री बनाया मुसलों के विरुद्ध लड़े गये राजा इसों में उसने भाग लिया, अन्तः ई० के सबराड़ राजा की रक्षा की । [अस] ३०६ टांक ] मीर ने की प्राणदेकर बुद्ध में इस राजा ने उसकी स्मारक बनी बनवायी। दे. (देसाई. १३.. अच्युतराजेन्द्र जैन राजा. ११५० ६० । या वच्युतदेव (११२६०), धवनगर देवराय की उत्तराधिकारों, उसके शासन में अनेक जिन ११
SR No.010105
Book TitleJain Jyoti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJyoti Prasad Jain
PublisherGyandip Prakashan
Publication Year1988
Total Pages205
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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