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________________ सेतो बी जितने बच्चे नये, उससे बढ़कर पूर्णतया समर्पित बेधमत्त और समापसेको। इस स्वार्थत्यावी बलिबानी की जीवन-संध्या पड़ेगारिक मभाव एवं कष्टों में बीती, किन्तु पैर्यपूर्वक सब सहन किया। स्वतंत्र भारत में जयपुर की एक नवीन बस्तीको बर्जुनलाल सेठी नगर' नाम दिया गया है। [प्रोग्रेसिवः २२-२३] आ बाव कुमारी- हिन्दी के वरिष्ठ लेखक एवं पत्रकार श्री समपान जैन की धर्मपत्नी, बलोमड़ उ.प्र. के एक सात परिवार में बम्म, दिल्ली विश्वविद्यालय से प्रथम श्रेणी में एम. ए. करने के बार डेनिश सरकार द्वारा प्रदत्त फैलोशिप पर डेनमा गई और वहां माठ माह रहो। लौटने पर दिल्ली कालिन्दी कालेज में १५ वर्ष हिन्दी की प्राध्यापिका रही, तोनों विश्व हिन्दी सम्मेमनों में सम्मिलित हुई और अमेरिका, कनाडा, मारिशस, फ्रांस आदि अनेक विदेशों में हिन्दी के प्रचार प्रसार में महत्वपूर्ण योगदान दिया। जैनधर्म में गहरी बभिरूचि थी और जैन समा. रोहों में बड़ी लगन से भाग लेती थी। ६९ वर्ष की आयु में अप्रेल १९८८ मे देहावसान। मादिनाब नेमिनाथ उपाध्ये, ना.- जैन सिद्धांत के पारगामी, पुरातन जैन साहित्य के गम्भीर अनुसंधिस्सु, प्राकृतभाषा एवं साहित्य के महापंडित, २०वीं पाती. के अंतरराष्ट्रीय स्यातिप्राप्त प्राच्य. विद एवं अग्रणी जैनविद्याविद, सिद्धांताचार्य डा. भाविनाय नेमिनाथ उपाध्ये का जन्म कणाटक राज्य के बेलगांव जिले के ग्राम सदलगा में, १९०६६. में हुवा था। उनके पिता नेमन्न (नेमिनाप) मोमण्ण उपाध्याय कुलपरम्परा से जिनधर्मी ब्राह्मण थे। उपाध्ये जीने १९३०१० में बम्बई विश्वविद्यालय की एम. ए. परीक्षा संस्कृत-प्राकृत में प्रथम श्रेणी में प्रथम स्थान से उत्तीर्ण की और कोल्हापुर के राजारामकालिज में अर्धमागधी के व्याख्याता, प्राचार्य एवं कलासंकायाध्यम रूप में ३२ वर्ष कार्यरत रहकर १९६२१.में वहां से अवकाश प्राप्त किया। ऐतिहासिक व्यक्तिकोष
SR No.010105
Book TitleJain Jyoti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJyoti Prasad Jain
PublisherGyandip Prakashan
Publication Year1988
Total Pages205
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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