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________________ 1-बाबी के निवि नरेश चेटक के सप्तम पुत्र,म० महावीर के मातुल । [अब...] बाबा- तवा उनके संघ के... मुनियों पर प्राचीन काल में हस्तिनापुर में सवालि ने भीषण उपस किया था, जिससे मुनि विष्णु कुमार ने उनकी रक्षा एवं उबार किया था,रक्षाबन्धन परिंग। वपर, दे. बकम्पन । १. बकनरदेव य भट्टाकलापस (न. ६४०.७२०१०), महान मावक दिमम्बराचार्य, याक्कि, दार्शनिक, बादी एवं अन्धकार, जैन न्याय के सोपरि प्रस्तोता, बकला-प्याय के पुरस्कर्ता, देवसंच (गण) से सम्बड, गावापी के पश्चिमी पासुक्य नरेजों पारा पूषित, पीबों पर बार-विजय के लिए प्रसिख, उमास्यामिकत तत्वार्यसूत्र की तत्त्वार्थरावपातिक तथा समन्तभद्रात माप्तमीमांसा की अष्टमती नाम्नी टीकानों, और लचीपस्त्रय, स्थावविनिश्यच, सिद्धिविनिश्चय, प्रमाणसंग्रह प्रभृति महानगन्चों के प्रणेता, महब नृपति के पुत्र, राजन् साहसतुंग तवा विकसिमनरेष हिमशीतल द्वारा सम्मानित, अनेकविले. में तवा परवर्ती साहित्यकारों द्वारा सावर स्मृत एवं प्रशंसित, ब्राह्मण एवं बौर नैयायिकों द्वारा भी प्रशंसाप्राप्त, तथा पूज्यपाब, पूज्यपाद भट्टारक, वादिसिंह, बाबीसिंह, मावि बनेरु सार्वक विभप्राप्त, अकलर नाम के सर्वमहान एवं सर्वप्रथम मात बनाचार्य । [मने. १६/२;सिमा. १५/२;मोषांक १-४ सो० १७१.१०.] २- मकमर पडित, बवणबेलगोलस्थ चन्द्रगिरि के ल. १.९६० एक मि.ले.में उल्लिक्षित भाचार्य । बिक्षिसं. १६९;शोषांक-१] ३-'बकनीषिय बाविषयकुछ'-मूत्रसंच-वेशीषण-पुस्तकमच्छ-कोयकुन्दापय के मापनादि कोल्लापुरीय के प्रविष्ण, देवकीति (वर्ष ११६३६.) के शिष्य, शुभचन्द्र *विध एवं गडविमुक्त पाक्षिणतुर्वर रामचन्द्र विष के सपा ऐतिहासिक म्यक्तिकोष
SR No.010105
Book TitleJain Jyoti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJyoti Prasad Jain
PublisherGyandip Prakashan
Publication Year1988
Total Pages205
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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