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________________ अक [प्रमुख १६०; जैशिसं, १२४ ] अक्काम हेरिडिति - विजयनगर सम्राट कृष्णदेवराय की एक जैन महिला सामन्त जिसने १५१५ ई० में बरांग के जिनमंदिर की भूमि व्यवस्था कराने में सहायता दी थी। अम्मण की जननी, बडी धर्मात्मा । [ प्रमुख १७४; जैशिसं iii, ३४९] होयसल नरेश बल्लाल द्वि० (११७३-१२२० ई०) के मन्त्री चन्द्रमौलि की जननी और शंभुदेव की पत्नि । [जैशिसं. iv ४५८ ] अक्कसाल कामोल - ने बोल सम्राट कुलोतुग राजेन्द्र की पुष्यवृद्धि के लिए चन्द्रप्रभ जिनालय के लिए दान दिया था उक्त नरेश का शासनकाल १०७४-११२३ ई० है । [जैशिस iv २२४; प्रमुख ११३३ अकबर, जलालुद्दीन मुहम्मद-भारत का महान मुगल सम्राट ( १५५६-१६०५६०), उदारनीति एवं सर्वधर्म सहिष्णुता के लिए इतिहासप्रसिद्ध । हीरविजय सूरि आदि कई जैन गुरुओं को सम्मानित किया, उनकी शिक्षाओं से भी प्रभावित हुआ, जैनों के हित में कई फर्मान भी निकाले । उसके शासनकाल में जैनधर्म और उसके अनुयायी पर्याप्त फले-फूले । अनेक जैन शि० ले० एव साहित्यिक रचनाओं में उसका उल्लेख है । अकमल------ अकम्पन --- [ देखिए- भाइ. ४७४-९५; प्रमुख २७७-८१] या अकुकवि, ब्रजभाषा हिन्दी पद्य में रचित 'सीलबत्तीसी' (३४ छन्द) के कर्ता- १६६४ ई० मे लिपिबद्ध एक गुटके में प्राप्त, बतः १७ वीं शती ई० के पूर्वार्ध में हुए होंगे। [ अने० १४/११-१२/३३३] १- ती० ऋषमकालीन काशिनरेश, सती सुलोचना का पिता, स्वयंवर प्रथा का प्रस्तोता-पुत्री का स्वयंवर किया । २- भ० महावीर के एक गणधर शिष्य, अपरनाम अकम्पित, fafeलावासी गौतमगोत्री ब्राह्मण विप्रदेव और जयन्ती के पुत्र । [महापुराण; जैशिसं० १०५ ] ऐतिहासिक व्यक्तिकोष
SR No.010105
Book TitleJain Jyoti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJyoti Prasad Jain
PublisherGyandip Prakashan
Publication Year1988
Total Pages205
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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