SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 159
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ लाल-वालियर के तोमर नरेश नीतिसिंह के पापात्र सवाल धनकुबेर साहु पसिंह का पिता। [प्रमुख, २५५] अलिबागु- मा उल्लिका के नगुए, जिन्होंने अपनवेमगोमस्य पवनिरि पर, स.७... में, सस्नेखनापूर्वक प्राणोत्सर्ग किया । जैशिसं.-११] अपरनाम शुक, कौटिलीय अर्थशास्त्र में उस्लिखित पूर्ववर्ती राजनीति शास्त्र के बाचार्य। या ऋषमवत, सौराष्ट्र के शक शहरात नहपान (ल. २६-६६ १.) का मामाता एवं उत्तराधिकारी, बिनधर्मी रहा प्रतीत होता है। [प्रमुख. ६३-६४, सो.] उसेरोलाल- ला. उसेरीमम (या मास) नवाबगंज (बाराबंकी, उ.प्र.) वाले, दिग. अग्रवाल, नसुनके पौत्र और नीजीलाल पुत्र, धर्मप्राण, उदार तथा शास्त्रदानी सज्जन थे, मंदिर के निर्माण विकास के अतिरिक्त अनेक अन्यों को प्रतियां लिखवाकर आसपास नगर-मामों के मंदिरों में भिजवाई, न. १७९०-१५३.ई., दिल्ली के काष्ठासंधी भद्रारक ललितकीति की बाम्नायके थे। [शोषक-३७, पृ. ५६६] नाबालीपुर (मारवाड़) नरेश उदयसिंह के पुत्र महाराज चाचिग देव के प्रश्रय में, १२७७ ई. में, महतक पीना एवं अदल मे पाश्र्वनाथ महोत्सव के लिए भूमिदान दिया था। [गुच. १९८% [बैलेसं.i, ९३५] नधि- जिसकी पुत्री जितामित्रा मे, जो बुद्धि की पत्नी बोर मन्धिक की जननी थी, आनन्दि के उपदेश से मथुरा में, ११.६० में महंत की सर्वतोभद्र प्रतिमा प्रतिष्ठापित की थी। [भिसं. 1.४१%; प्रमुख. ६८] ইভিত্তিক বিজীয় m
SR No.010105
Book TitleJain Jyoti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJyoti Prasad Jain
PublisherGyandip Prakashan
Publication Year1988
Total Pages205
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy