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________________ २. शान्तिरिके शिष्य वरपूरि के माद के सुलतान नासिकहोन के जैन मन्त्री मलिक माफर के पात्र बोर श्रीमाल पातीय सोगाराव बीवन के पुष, मन्त्री पुत्र के अनुरोध से, १५०४ ई. में, हिन्दी पच मे मलितांगचरित की रचना की थी। [काहि. ६७-६८; प्रमुख. २४६] ३. भाहरमच्छी ईश्वरसूरि ने १३६४० में जैसलमेर में सुमति नाथ विश्व प्रतिष्ठा की थी। कंच. ६८] ४. संप्रेरकपच्छी ईश्वरसूरि ने १४५८ ई. में काश्यपगोत्री श्रावक चहा के लिए नेमिनाम बिम्ब प्रतिष्ठा की बी। [कैच. ९८] शबरसेग- हरिवंशपुराण (७८३ ई.) में प्रदत्त पुन्नाटसंघ को परम्परा में, नन्विषेण वि. के शिष्य और नन्दिषेण तृ. के गुरु । वरीप्रसाब-या ला. ईश्वरी प्रसाद दिल्ली के सरकारी खजांची सालिगराम के वंशज, और धर्मदास खणांची के पुत्र (या अनुज) थे, १८७७ ई. में पुरानी दिल्मी क्षेत्र के सरकारी खजांची बने, दिल्ली बैंक एवं लन्दन बैंक के भी खजांची थे, नगरपालिका के सदस्य एवं कोषाध्यक्ष, मान. मजिस्ट्रेट व वायसराय के दरबारी भी थे। उनके अनुज अयोध्याप्रसाद भी सरकारी सवांची थे, बीर सुपुत्र रायबहादुर पारसदास थे- अग्रवाल, दिग.। [प्रमुख. ३६.] उकेतीमणि- कल्याण मंदिर-स्तोत्र वृत्ति के कर्ता, संभवतया श्वे.। [दिल्ली धर्मपुरा दि. मंदिर की प्रति] रक्सिलेटि- और एकग्वे के पुत्र तथा नयकीर्ति व्रतीश के शिष्य नाभिसेष्ट्रि ने ल० १२०० ई. में समाधिमरण किया था। [शिसं. iv. ३७९) १. मपुरा का यदुवंशी नरेश, बसुदेव की पत्नी और कृष्ण की जननी देवकी का तथा कंस का पिता। ऐतिहासिक व्यक्तिकोश
SR No.010105
Book TitleJain Jyoti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJyoti Prasad Jain
PublisherGyandip Prakashan
Publication Year1988
Total Pages205
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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