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________________ शिव्य नमकीर्ति सि. प. का गृहस्थ शिव्य था, और जिले क वर्धन होय्सल ने एक युद्ध में पराजित किया था। उसके पौत्र बम्प की रानी बावजदेवी से, जो कलियर्म की पुत्री की इगोल हि. उत्पन्न हुवा था, जिसने १२३२ ई० में अपने आश्रित गंगेयन मारेय के निवेदन पर उसके द्वारा निर्माणित जिनालय के लिए भूमिदान दिया था। इसका पुत्र एवं उत्तराविकारी इकोस तू. ( दरुमोलदेव पोल महाराज) था, जिसने १२७८ ई० में मल्लिसेट्टि द्वारा निर्वाचित बिनालय के लिए प्रभूत दान दिया था। निशुगलवंश के इक्पोल नामक ये तीनों हो राजा परम जैन थे । [प्रमुख. १९३-१९४ जैशिसं. i. १३८; ii. ३०१; iii. ४७८; iv. ६२१-६२२; मेजे. २१० ] इगोल- प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय- दे. इरुङ्गोल । इसपेद मानडियल, बनसंग- जैनाचार्य, जिन्हें चोल नरेश परकेसरिवर्मन (राजेन्द्र प्रथम ) के राज्य के तीसरेवर्ष में ग्रामादि दान दिये गये थे ल० १००० ई० । [जैशिसं. iv. १२१ ] इलाव महादेवी- चोलसम्राट राजराज केशरीबर्मन के राज्य के ८वें वर्ष में, अर्थात ९९२ ई० में उसके सामन्त जिस इलाडराज (लाटराज) बौर चोल ने तमिलदेशस्थ पचपाडवमले के प्रसिद्ध चैत्यालय के लिए दानशासन दिया था, उसकी दानशीला धर्मात्मा रानी उस रानी को प्रार्थना पर ही वह दान दिया गया था । ii. १६७] [जैशिस. इलाडराज बोरबोल- इलाड महादेवी (९९२ ई० ) का पति, राजा । [जैशिसं. ii. १६७ ] इलाई अरवन तिवडि— तमिलदेशस्थ अन्नुदूरनाडु के एलुमून ग्राम 布丁 निवासी, जिसकी धर्मात्मा पत्नी तिरुनंग ने श्री नामलूर के मंदिर में, १०वीं शती ई० में, एक जिनविज प्रतिष्ठापित की थी । [ जंशिसं V २४ ] इयमटारर - मुनिराज ने, १०वीं शती ६० मे, शिगवरम् (दक्षिण अर्काट, मद्रास) में ३० दिन के उपवासोपरान्त समाधिमरण किया था । [शिसं. v. २५ ] ऐतिहासिक व्यक्तिकोश १२५
SR No.010105
Book TitleJain Jyoti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJyoti Prasad Jain
PublisherGyandip Prakashan
Publication Year1988
Total Pages205
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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