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________________ ४० एक ऐसे विशेष क्रम से घुमाते फिराते लेजावें जिससे वह उकताने भी न पाये और हमारे काबू में भी बना रहे । बस, इसी को Variation of thoughts कहते हैं परन्तु प्रश्न यहाँ यह पैदा होता है कि क्या Variation of thoughts बिना द्रव्य की सहायता के नहीं हो सकता है अथवा क्या द्रव्य उसके लिये अनिवार्य है ? इसका उत्तर Variation of thoughts के अर्थ पर विचार करने से ही मालूम होसकता है जिसका अर्थ हैं 'विचारों का बदलना'। विचार तो तब भी बदलते हैं कि जब मन एक विचार से उकता कर भाग जाता है परन्तु यह विचारों का बदलना और तरह का है। इसमें विचारों के बदलने का क्रम पहिले से ही निश्चित कर लिया जाता है और इस प्रकार पहिले से निश्चित किये हुये क्रम के अनुसार विचार बदलते रहन से मन भी उकता कर नहीं भागता और साथ ही उन निश्चित विचारों से बाहर न जा सकने से काबू में भी बना रहता है। इस दृष्टि से प्रचलित द्रव्यपूजा पर भी विचार करने पर आपको मालूम होगा कि इसमें भी एक निश्चित क्रम से आठ प्रकार की भावनाओं (विचारों) का चिंतवन किया जाता है और इस प्रकार एक ही भावना का लगातार चितवन न होने से मन नहीं उकता ने पाता । उसमें थोड़े २ काल तक एक २ भावना को लेकर बारी
SR No.010097
Book TitleJain Dharm aur Murti Puja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVirdhilal Sethi
PublisherGyanchand Jain Kota
Publication Year1929
Total Pages67
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Devdravya
File Size2 MB
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