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________________ विविध ३२५. राजपूताना व मालवा प्रान्त श्रीमहावीरजी-पश्चमी रेलवेकी नागदा-मथुरा लाईनपर 'श्रीमहावीरजी' नामका स्टेशन है। यहाँसे ४ मीलपर यह क्षेत्र है। यहाँ एक विशाल दिगम्बर जैन मन्दिर है, उसमें महावीर स्वामीकी एक अति मनोज्ञ प्रतिमा विराजमान है। यह प्रतिमा पासके हीएक टीलेके अन्दरसे निकली थी। इसे जैन और जैनेतर-खास करके जयपुर रियासतके मीना और गूजर बडी श्रद्धा और भक्तिसे पूजते है। यात्रियोंका सदा ताता लगा रहता है । प्रतिवर्ष बैसाख वदी एकमको महाबीर, भगवानकी सवारी रियासती लवाज के साथ निकलती है। लाखों मीना एकत्र होते हैं। वे ही सवारीको नदी तक ले जाते है। उधर गूजर तयार खडे रहते है। मीना चले जाते है और गूजर सवारीकों लौटाकर लाते है। फिर गूजरोंका मेला भरता है।। ___चाँद खेड़ी-कोटा रियासतमे खानपुर नामका एक प्राचीन नगर है। खानपुरसे २ फागकी दूरी पर चांद खेडी नामकी पुरानी बस्ती है। यहाँ भूगर्भमे एक अतिविशाल जैन मन्दिर है। इसमे अनेक विशाल जैन प्रतिमाएं है। सब प्रतिमाएं ५७७ है। द्वारके उत्तर, भागमें एक ही पाषाणका १० फुट ऊचा कीर्तिस्तम्भ है, इसमे चारों मोर दिगम्वर-प्रतिमाएं खुदी हुई है, तीन तरफ लेख भी है। मक्सीपार्श्वनाथ-ग्वालियर रियासतमे सेन्ट्रल रेलवेकी भूपाल-उज्जैन शाखामें इस नामका स्टेशन है। यहाँसे एक मीलपर एक प्राचीन जैन मन्दिर है । उसमे श्रीपार्श्वनाथ स्वामीकी ढाई : . ऊँची पद्मासन मूर्ति विराजमान है जो बड़ी ही मनोज्ञ है। इसको दोन' सम्प्रदायवाले पूजते है । परन्तु समय नियत है । सुवह ६ से ६ त५ दिगम्वर सम्प्रदायवाले पूजते है फिर शेष समय श्वेताम्बरोके लि. नियत है। विजौलिया पार्श्वनाथ नीमचसे ६८ मीलपर विजौलिया र. सतह । विजौलिया गांवके समीपमे ही श्री पार्श्वनाथ स्वामीका अति
SR No.010096
Book TitleJain Dharm
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSampurnanand, Kailashchandra Shastri
PublisherBharatiya Digambar Jain Sahitya
Publication Year1955
Total Pages343
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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