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________________ विषय-सूची * or o १३ सम्यग्ज्ञानचन्द्रिका पीठिका १-६८ मगलाचरण, सामान्य प्रकरण प्रथमानुयोग पक्षपाती का निराकरण चरणानुयोग पक्षपाती का निराकरण द्रव्यानुयोग पक्षपाती का निराकरण शब्दशास्त्र पक्षपाती का निराकरण अर्थ पक्षपाती का निराकरण १२ काम भोगादि पक्षपाती का निराकरण शास्त्राभ्यास की महिमा जीवकाण्ड सवधी प्रकरण १७-३० कर्मकाण्ड सवधी प्रकरण ३१-४० अर्थसंदृष्टी प्रकरण ४६-४७ लब्धिसार, क्षपणासार सवधी प्रकरण ४८-५५ परिकर्माष्टक सबन्धी प्रकरण ५५-६८ मंगलाचरण व प्रतिज्ञा भाषा टीकाकार का मगलाचरण ६९-७५ ग्रन्थकर्ता का मगलाचरण व प्रतिज्ञा वीस प्ररूपणानो के नाम व सामान्य कथन ८१-८६ पहला अधिकार. गुणस्थान-प्ररूपणा ८६-१७६ गुणस्थान और तद् विषयक प्रौदायिक मावो का कथन ५६-६१ मिथ्यात्व का स्वरूप ६१-६५ सासादन का स्वरूप ६५-६६ सम्यग्मिथ्यात्व का स्वरूप ६६-६८ असयत का स्वरूप ६८-१०३ देशसयत का स्वरूप १०३-१०४ प्रमत्त का स्वरूप १०४-१३२ अप्रमत्त का स्वरूप १३२-१५३ अपूर्वकरण का स्वरूप १५३-१५६ अनिवृत्तिकरण का स्वरूप १५६-१६० सूक्ष्मसांपराय का स्वरूप १६०-१६७ उपशातकषाय का स्वरूप १६७-१६८ क्षीणकषाय का स्वरूप १६८ सयोगकेवली का स्वरूप १६८-१६६ प्रयोगकेवली का स्वरूप १६६-१७६ सिद्ध का स्वरूप १७६-१७६ दूसरा अधिकार जीवसमास-प्ररूपणा १८०-२३४ जीवसमास का लक्षण १८०-१९२ जीवसमास के भेद १८३-१६१ योनि अधिकार १६१-१९८ अवगाहना अधिकार १९८-२३४ तीसरा अधिकार : पर्याप्ति-प्ररूपणा २३५-२७६ अलौकिक गणित २३५-२६८ दृष्टात द्वारा पर्याप्ति अपर्याप्ति का स्वरूप व भेद २६८-२७० पर्याप्ति, निवृत्ति अपर्याप्ति का स्वरूप २७०-२७२ लब्धि अपर्याप्तक का स्वरूप २७२-२७६ चौथा अधिकार : प्राण-प्ररूपणा २७७-२८० प्राण का लक्षण, भेद, उत्पत्ति की सामग्री, स्वामी तथा एकेन्द्रियादि जीवो के प्राणो का नियम २७७-२८० पांचवा अधिकार : संज्ञा-प्ररूपरणा २८१-२८३ सज्ञा का स्वरूप, भेद, आहारादि सज्ञा का स्वरूप तथा सज्ञामो के स्वामी २८१-२८३ छठवां अधिकार : गतिमार्गरणा-प्ररूपणा २८४-३०८ मगलाचरण और मार्गणाधिकार के वर्णन की प्रतिज्ञा २८४ मार्गरणा शब्द की निरुक्ति का लक्षण २५४
SR No.010074
Book TitleSamyag Gyan Charitra 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYashpal Jain
PublisherKundkund Kahan Digambar Jain Trust
Publication Year1989
Total Pages716
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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