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________________ [३०] इत्यादि । इसका सारांश यह है, कि जो आत्मद्रव्य है, वह मिष्ठ वगैरह पांच प्रकार के रस रहित है, श्वेत आदिक पांच तरहके वर्ण रहित है, सुगन्ध दुर्गन्ध इन दो तरह के गन्ध उसमें नहीं हैं, प्रगट ( दृष्टिगोचर ) नहीं है, चैतन्यगुण सहित है, शब्दसे रहित है, पुल्लिंग वगैरह करके ग्रहण नहीं होता, अर्थात् लिंग रहित है, और उसका आकार नहीं दीखता, अर्थात् निराकार वस्तु है । आकार छह प्रकारके हैं – समचतुरस्र, न्यग्रोधपरिमंडल, सातिक, कुब्जक, वामन, हुंडक । इन छह प्रकार के आकारोंसे रहित है, ऐसा जो चिद्रूप निज वस्तु है, उसे तू पहचान | आत्मासे भिन्न जो अजीव पदार्थ है, उसके लक्षण दो तरहसे हैं, एक जीव सम्बन्धी, दूसरा अजीव सम्बन्धी । जो द्रव्यकर्म भावकर्म नोकर्मरूप है, वह तो जीवसम्बन्धी हैं, और पुद्गलादि पांच द्रव्यरूप अजीव जीवसबंधी नहीं हैं, अजीव संबंधी ही हैं, इसलिये अजीव हैं, जोवसे भिन्न हैं । इस कारण जीवसे भिन्न अजीवरूप जो पदार्थ हैं, उनको अपने मत समझो । यद्यपि रागादिक विभाव परिणाम जीवमें ही उपजते हैं, इससे जीवके कहे जाते हैं, परन्तु वे कर्मजनित हैं, परपदार्थ (कर्म) के सम्बन्ध से हैं, इसलिये पर ही समभो । यहां पर जीव अजीव दो पदार्थ कहे गये हैं, उनमें से शुद्ध चेतना लक्षणका धारण करनेवाला शुद्धात्मा ही ध्यान करने योग्य है, यह सारांश हुआ || ३० ॥ अथ तस्य शुद्धात्मनो ज्ञानमयादिलक्षणं विशेषेण कथयति अमणु अखिँदिउ खाणमउ सुत्ति-विरहिउ चिमित्तु । अप्पा इ दिय-विसउ वि लक्ख एहु गिरुत्तु ॥ ३१ ॥ अमना: अनिन्द्रियो ज्ञानमयः मूर्तिविरहितश्चिन्मात्रः । आत्मा इन्द्रियविषयो नैव लक्षणमेतन्निरुक्तम् ||३१|| आगे शुद्धात्मा के ज्ञानादिक लक्षणोंको विशेषपनेसे कहते हैं - (आत्मा) यह शुद्ध आत्मा (अमनाः) परमात्मासे विपरीत विकल्पजालमयी मनसे रहित है ( श्रनिन्द्रियः) शुद्धात्मा से भिन्न इन्द्रिय-समूहसे रहित है (ज्ञानमयः) लोक और अलोकके प्रकाशनेवाले केवलज्ञान स्वरूप है, (मूर्तिविरहितः ) अमूर्तीक आत्मासे विपरीत स्पर्श, रस, गन्ध, वर्णवाली मूर्तिरहित है, (चिन्मात्रः ) अन्य द्रव्यों में नहीं पाई जावे, ऐसी शुद्धचेतनास्वरूप ही
SR No.010072
Book TitleParmatma Prakash evam Bruhad Swayambhu Stotra
Original Sutra AuthorYogindudev, Samantbhadracharya
AuthorVidyakumar Sethi, Yatindrakumar Jain
PublisherDigambar Jain Samaj
Publication Year
Total Pages525
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size29 MB
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