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________________ [६] उनको मैं नमस्कार करता हूँ - ('अहं') मैं ( तान् ) उन (सिद्धगणान् ) सिद्धसमूहों को ( वन्दे ) नमस्कार करता हूँ, (येsपि ) जो ( श्रनन्ताः ) आगामीकालमें अनंत (भवियन्ति) होंगे कैसे होंगे ? (शिवमयनिरुपमज्ञानमया) परमकल्याणमय, अनुपम और ज्ञानमय होंगे । क्या करते हुए ? ( परमसमाधि) रागादि विकल्प रहित जो परमसमाधि उसको ( भजन्तः ) सेवते हुए । अब विशेष कहते हैं - जो सिद्ध होवेंगें, उनकी मैं वन्दता हूँ । कैसे होंगे, आगामी कालमें सिद्ध, केवलज्ञानादि मोक्षलक्ष्मी सहित और सम्यक्त्वादि आठ गुणों सहित अनंत होंगे । क्या करके सिद्ध होंगे ? वीतराग सर्वज्ञदेवकर प्ररूपित मार्गकर दुर्लभ ज्ञानको पाके राजा श्रेणिक आदिकके जीव सिद्ध होंगे । पुनः कैसे होंगे ? शिव अर्थात् निज शुद्धात्माकी भावना, उसकर उपजा जो वीतराग परमानन्द सुख, उस स्वरूप होंगे, समस्त उपमा रहित अनुपम होंगे, और केवलज्ञानमई होंगे । क्या करते हुए ऐसे होंगे ? निर्मल ज्ञान दर्शनस्वभाव जो शुद्धात्मा है, उसके यथार्थ श्रद्धान-ज्ञान-आचरणरूप अमोलिक रत्नत्रयकर पूर्ण और मिथ्यात्व विषय कषायादिरूप समस्त विभावरूप जलके प्रवेशसे रहित शुद्धात्माकी भावनासे उत्पन्न हुआ जो सहजानंदरूप सुखामृत, उससे विपरीत जो नारकादि दुःख वे ही हुए क्षारजल, उनकर पूर्ण इस संसाररूपी समुद्रके तरनेका उपाय जो परमसमाधिरूप जहाज उसको सेवते हुए, उसके आधार से चलते हुए, अनंत सिद्ध होंगे । इस व्याख्यानका यह भावार्थ हुआ, कि जो शिवमय अनुपम ज्ञानमय शुद्धात्मस्वरूप है वही उपादेय है ||२|| अथानन्तरं परमसमाध्यग्निना कर्मेन्धनहोमं कुर्वाणान् वर्तमानान् सिद्धानह नमस्करोमि - ते ह वंद सिद्ध गण अच्छहिं जे वि दवंत । परम- समाहि-महग्गिएँ कम्मिंधण हुत ॥३॥ ु तान् अहं वन्दे सिद्धगणान् तिष्ठन्ति येऽपि भवन्तः । परमसमाधिमहाग्निना कर्मेन्धनानि जुह्वन्तः || ३|| आगे परमसमाधिरूप अग्निसे कर्मरूप ईंधनका होम करते हुए वर्तमानकाल में महाविदेहक्षेत्र में सीमंधरस्वामी आदि तिष्ठते हैं, उनको नमस्कार करता हूँ — (अहं) मैं ( तान् ) उन (सिद्धगणान् ) सिद्ध समूहों को ( वन्दे ) नमस्कार करता
SR No.010072
Book TitleParmatma Prakash evam Bruhad Swayambhu Stotra
Original Sutra AuthorYogindudev, Samantbhadracharya
AuthorVidyakumar Sethi, Yatindrakumar Jain
PublisherDigambar Jain Samaj
Publication Year
Total Pages525
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size29 MB
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