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________________ ककनवाली के धार्मिक प्रायतनों का संक्षिप्त परिचय ( लेखक-श्री कुन्दनमलजी अजमेरा-मंत्री श्री दि. जैन शांतिनाथ पाठशाला ) हमारे बडे सौभाग्य हैं; बडे पुण्योदय हैं जो श्री १०८ चारित्र विभूषण श्री विवेकसागरजी महाराज का ससंघ चातुर्मास इस छोटी सी नगरी कुकनवाली में हुआ। यहां से शास्त्र श्री परमात्मप्रकाश व वृहत्स्वयंभू स्तोत्र के प्रकाशन का कार्य निर्विघ्न सम्पन्न हया, यह सब महाराजश्री के चरणों का ही प्रताप है जो यहां के श्रावक-समूह में धर्मोत्साह की उत्पत्ति व धार्मिक भावना की ज्योति जगमगा रही है। यहां का संक्षिप्त परिचय निम्न प्रकार है:-यहां तीन दि० जैन मन्दिर हैं । एक जैन भवन (धर्मशाला) है, एक विशाल पाठशाला भवन है जिसमें कई बीघा जमीन बाउंड्री सहित है। यहां हाईस्कूल, प्राइमरी स्कूल, प्राइमरी हेल्थ सेंटर एवं सब-पोस्ट ऑफिस भी हैं । जैन समाज की तरफ से गांव में ४ प्याऊ भी हैं। इस नाम में कभी १०० से १५० तक घर दि० जैन श्रावकों के थे; पर अब वर्तमान में ७६ घर हैं जिनमें ३८ परिवार अासाम याद भिन्न २ प्रांतों में रहने चले गये हैं जिनकी जन संख्या ३६६ है। शेष यहां रहते हुये ४१ परिवारों को ( घरों को ) जनसंख्या ३३३ है । इस प्रकार यहां दि. जैन संख्या कुल ७०२ है । सभी खंडेलवाल दि० जैन हैं। यह ग्राम जिला नागौर, तहसील नावां के अंतर्गत है । इस ग्राम के कुल घरों की संख्या ५०० है जिनकी आबादी लगभग साढे तीन हजार है। जिन मन्दिरों को अपूर्व शोभा व पंच कल्याणक समारोह के कारण से भी यह लघु नगरी सोभाग्यशाली सिद्ध हुई है। उनका संक्षिप्त विवरण भी यहां देना आवश्यक समझता हूँ। (१) श्री नेमिनाथ जिनमन्दिर-यह ३०० साल करीब का पुराना भव्य मन्दिर है। इसका जीर्णोद्धार सं० १९६५ में श्री लालचंदजी काला एवं श्रीगंगाबकसजी सेठो एवं श्री कन्हैयालालजी बडजात्या के तत्त्वावधान में पंचायत द्वारा हुना था। इस मन्दिर में तीन देदियां हैं, बीच की वेदी श्री गुलाबबाई पुत्री श्री जोधराजजी कासलीवाल ने सोने के काम व किवाड सहित बननायी । पूर्व की तरफ श्री महावीर स्वामी की वेदी श्री भंवरलालजी सेठी ने मय सोने के काम के व किंवाडों सहित वनवाई । पश्चिम की तरफ की वेदी श्री पतासीबाई पुत्री श्री कस्तूमलजी कासलीवाल ने मय सोने के काम व किंवाडों सहित बनवाई । इसके अतिरिक्त इस मन्दिर में रंग व काच का कार्य अति मनोहारी सुन्दर देखने लायक बना हुआ है। इस मन्दिर का दुवारा जीर्णोद्धार एवं प्रतिष्ठा समाज की तरफ से सं० २००७ में हुई। उसके बाद महावीर स्वामी की
SR No.010072
Book TitleParmatma Prakash evam Bruhad Swayambhu Stotra
Original Sutra AuthorYogindudev, Samantbhadracharya
AuthorVidyakumar Sethi, Yatindrakumar Jain
PublisherDigambar Jain Samaj
Publication Year
Total Pages525
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size29 MB
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