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________________ अर्थ में सर्वज्ञता को निहित प्रतिपादन किया है। परन्तु बुद्ध ने स्वय अपनी सर्वज्ञता पर जोर नही दिया है । उन्होने कितने ही अतीन्द्रिय पदार्थों को अव्याकृत (न कहने योग्य) कहकर उनके विषय मे मौन ही रखा । पर उनका यह स्पष्ट उपदेश था कि धर्म जैसे अतीन्द्रिय पदार्थ का साक्षात्कार या अनुभव हो सकता है । उसके लिए किसी धर्म-पुस्तक की शरण में जाने की आवश्यकता नहीं है । बौद्धतार्किक धर्मकीर्ति ने भी बुद्ध को धर्मज्ञ ही बतलाया है और सर्वज्ञता को मोक्षमार्ग मे अनुपयोगी कहा है : तस्मादनुष्ठानगत ज्ञानमस्य विचार्यताम् । कीट-सख्या-परिज्ञाने तस्य न क्वोपयुज्यते ।। हेयोपादेयतत्त्वस्य साम्युपायस्य वेदक । य प्रमाणमसाविष्टो न तु सर्वस्य वेदक ॥ -धर्मकीति, प्रमाणवात्तिक २-३१, ३२ 'मोक्षमार्ग में उपयोगी ज्ञान का ही विचार करना चाहिए । यदि कोई जगत् के क्रीडेमकोड़ो की संख्या को जानता है तो उससे हमे क्या लाभ ? मत जो हेय और उपादेय तथा उनके उपायों को जानता है वही हमारे लिए प्रमाण-माप्त है, सबका जानने वाला नहीं।' यहां उल्लेखनीय है कि कुमारिल ने जहा धर्मज्ञ का निषेध करके सर्वश के सद्भाव को इष्ट प्रकट किया है वहा धर्मकीति ने ठीक उसके विपरीत धर्मज्ञ को सिद्ध कर सर्व का निषेध मान्य किया है । शान्तरक्षित और उनके शिष्य कमलशील बुद्ध में धर्मज्ञता के साथ ही सर्वज्ञता की भी सिद्धि करते हुए देखे जाते है । पर वे भी धर्मज्ञता को मुख्य और सर्वज्ञता को प्रासगिक सिसाधयिवतो योऽर्थ सोऽनया नाभिधीयते । यस्तूच्यते न तत्सिद्धी न किञ्चदस्ति प्रयोजत्तम् ।। यदीयागमसत्यत्वसिद्धौ सर्वशतेष्यते । न सा सर्वज्ञसामान्यसिद्धिमात्रेण लभ्यते ॥ यावबुद्धो न सर्वज्ञस्तावत्तद्वचन मृषा। यत्र वचन सर्वज्ञे सिद्ध तत्सत्यता कुत ।। अन्यस्मिन्न हि सर्वज्ञे वचसोऽप्यन्यस्य सत्यता । समानाधिकरण्ये हि तयोरगागिमावता भवेत् ॥ ये कारिकार्य अनन्तकीर्ति ने अपनी बृहत्सर्वज्ञसिद्धि मे कुमारिल के नाम से उद्धत की है। १. देखिए, मज्झिमनिकाय २-२-३ के चूलमालु क्यसूत्र का सवाद । २. स्वर्गापवर्गसम्प्राप्ति हेतुज्ञोऽस्तीति गम्यते । साक्षान्न केवल किन्तु सर्वज्ञोऽपि प्रतीयते ।। -तत्व स० का० ३३०६ ३६२]
SR No.010058
Book TitleTansukhrai Jain Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJainendrakumar, Others
PublisherTansukhrai Smrutigranth Samiti Dellhi
Publication Year
Total Pages489
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size16 MB
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